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शनि लग्न में स्थित हो | shani in 1st house | शनि कुंडली के पहले भाव में

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शनि कुंडली में लग्न स्थित हो तो व्यक्ति को कुछ हद इंट्रोवर्ट बनाएगा मतलब की अपने मन की बात शेयर नहीं करते आप हर किसी से आसानी से। शनि व्यक्ति को कर्तव्यों को पालन करने वाला बनाता है। शनि मैरिड लाइफ में स्थायित्व तो देगा लेकिन आकर्षण स्नेह की कमी भी कर सकता है। शनि लग्न में स्थित हो तो यह व्यक्ति को कर्मठ मेहनती बनाएगा। शनि लग्न में स्थित हो तो व्यक्ति की गुप्त दान धर्म की प्रवृत्ति हो सकती है और व्यक्ति ज्यादातर कर्मवादी स्वभाव के होंगे।

नीच भंग राज योग (neech bhang raj yoga )

नीच भंग राज योग जैसा कि नाम से ही पता चलता है , इस योग के तो जिस ग्रह की नीचता भंग हो जाये और वो अपनी नीचता त्याग कर उच्चता की ओर अग्रसर हो जाये उस अवस्था को नीच भंग राज योग कहा जाता है, तो आप को कुछ निम्नलिखित नियमो का ध्यान रखना होगा जब इस योग को कुंडली में देखें तो- तो सबसे पहले आप को देखना है कि जो ग्रह नीच अवस्था में है और जिस राशि में नीच का स्थित है उस राशि का स्वामी अगर उच्च का है, अथवा उस राशि में आकर कोई ग्रह ग्रह उच्च का हो जाता है वो उसी नीच ग्रह के साथ युति में स्थित हो, जैसे बुद्ध मीन राशि में नीच का होता है, अब यदि गुरु उच्च का हो अथवा शुक्र बुद्ध के साथ स्थित हो तो यह नीच भंग राज योग बनेगा, और यदि यह योग 3,6,8,10,11 वे भाव में बनता है तो विशेष शुभ फलदाई होता है। एक दूसरा नियम भी है यदि ग्रह जिस राशि मे नीच का स्थित है उस राशि का स्वामी चन्द्र या लग्न से केंद्र में हो तो भी यह राजयोग बनता है, पर इसकी शक्ति अब पिछले वाले राजयोग से कम दिखाई देगी, उदाहरण से देखिये सूर्य तुला राशि मे नीच का है और यदि शुक्र अथवा शनि, चन्द्रमा या लग्न से केंद्र में हो तो यह राजयोग बनता है। ...

क्या होता है विपरीत राज योग (kya hota hai vipreet Raj yoga )

विपरीत राजयोग के बारे में वीडियो रूप में जानने के लिये यहाँ क्लिक करें अक्सर आप सभी ने विपरीत राज योग का नाम सुना होगा जो भी व्यक्ति जो थोड़ा भी ज्योतिष का ज्ञान रखते हैं वो जानते होंगे कि विपरीत राज योग क्या है, पर फिर भी में आप को बता देता हूँ कि ये राज योग किस प्रकार बनता है, जब भी 6वे, 8वे, 12वे भाव के स्वामी इन्हीं भाव में बैठे तो इस योग का निर्माण होता है, ये आमतौर पर बनने वाला राजयोग है, शास्त्रों में इस योग के 3 प्रकार बताए गए हैं- जब 6वे भाव का स्वामी 6,8 ,12 वे में स्थित हो तो विपरीत हर्ष नाम का राज योग बनाता है। और यदि 8वे भाव का स्वामी 8,6,12 वे भाव मे उनके स्वामी के साथ बैठे तो बनता है विपरीत सरल राज योग, और यदि12 वे भाव का स्वामी 12,6,8 वे भाव में बैठे तो बनता है विपरीत विमल राज योग, और यदि इन्हीं भाव के स्वामी आपस में युति मैं किसी भी भाव में बैठे हुए हो, अथवा परिवर्तन योग में हो तो यह योग बनता है। अब देखिए इस योग के फलित होने का तरीका क्या है, इसका नाम ही विपरीत राजयोग है, राजयोग यानी एक शुभ स्थिति पर इसके साथ नाम जुड़ा है विपरीत। अब ये फलित होगा तो व्यक्ति के लिये अच...

क्या होता है परिवर्तन राज योग ? ( What is parivartan yoga )

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क्या होता है परिवर्तन योग विडियो रूप में देखने के लिये यहाँ क्लिक करें नमस्कार आज हम चर्चा करेंगे परिवर्तन योग के बारे में जो लोग लोग ज्योतिष का थोड़ा भी ज्ञान रखते होंगे उन्होंने इस योग का नाम अवश्य सुना होगा, हालांकि जिन्होंने नहीं सुना उनके लिये मैं बता दूं कि आखिर ये योग कैसे बनता है, आप को बता दूं कि जब दो ग्रह एक दूसरे की राशि में बैठे तब इस उयोग का निर्माण होता है जैसे सूर्य बुद्ध की राशि में बैठ जाये और बुद्ध सूर्य की राशि में तो इस योग का निर्माण होता है, आज हम इस योग के परिणाम के बारे में चर्चा करेंगे, इस योग को आमतौर पर किन्हीं दो ग्रहों की युति से भी अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, ज्योतिष शास्त्र में इस योग को 3 भागों में बांटा गया है पहला है महापरिवर्तन योग, दूसरा है कहल परिवर्तन योग, और तीसरा है दैन्य परिवर्तन योग। अब आते है महापरिवर्तन योग पर यह योग तब बनता है जब केंद्र त्रिकोण दूसरे या ग्यारहवें भाव के आपसी परिवर्तन के द्वारा कई कई केशों में ये योग राजयोग से भी अधिक फलदाई होता है बस ध्यान यह रखे कि वो शरुआती या अन्तिम डिग्री पर न हों। अब आते है कहल परिवर्तन योग पर ...

कैसा था रामराज्य ? कैसी थी रामराज की अर्थव्यवस्था ?

प्रणाम जी, क्या था राम राज्य, क्या ये हकीकत था या सिर्फ कल्पना, कहा जाता है  दैहिक दैविक भौतिक तापा, रामराज नहीं काहू व्यापा ।। अर्थात किसी भी व्यक्ति को कोई कस्ट नहीं था किसी भी प्रकार का, तो मैंने सर्च किया आखिर राम राज्य क्या था ,कैसे उसकी अर्थव्यवस्था चलती थी, क्या नियम कायदे थे राज्य के, आदि तमाम ऐसे प्रश्न है जो मेरे दिमाग में रह रह कर उठते रहते हैं, इन्ही प्रश्नों पर किया गया मेरा शोध मैं आप से शेयर कर रहा हूँ, आशा है आप को पसन्द आयेगा आप भी इसे जादा से ज्यादा लोगो तक पहुंचाए, जय सनातन धर्म। मैं कुछ समय पहले राम राज्य के बारे मे कुछ सर्च कर रहा था तो मैंने कम्बन ऋषि के बारे मे सुना उनका साउथ मैं बहुत बोल बाला है जैसा अपने यहाँ तुलसी दास जी का है, तो राम वनगमन के बाद, भरत जी राम से मिलने जाते है तो वो कहते है आओ प्रभु आप अयोध्या का राजगद्दी पर बैठो और राम राज्य की स्थापना करो, तब रामचंद्र जी कहते हैं कि पहले मेरे कुछ प्रश्नों का उत्तर दो, तब रामचन्द्र जी कई प्रश्न पूछते है, सब तो मैं नहीं बता रहा यहाँ पर एक बताता हूँ कि राम जी पूछते है कि तुम अपने राज्य के साधुओं ...

How will be your spouse and marital life through UP- PAD lagn in astrology ( कैसा होगा जीवनसाथी एवं वैवाहिक जीवन जाने ज्योतिष द्वारा )

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वीडियो रूप में देखने के लिये यहाँ क्लिक करें (लाइफ पार्टनर के बारे में) सबसे पहले में आप को बताता हूँ कि आप किस प्रकार अपना उप-पद लग्न निकाल सकते हो, अपनी जन्म कुंडली के द्वारा, बिल्कुल आसान है बस आप दिए हुए इंस्ट्रक्शन फॉलो कीजिये, सबसे पहले आप देखिये की आप की जन्म कुंडली में 12 वे भाव का स्वामी किस जगह स्थित है, और अब गिनिए की 12 वे भाव से 12th लार्ड कितने भाव दूर है, और अब जहाँ 12th लार्ड स्थित है उस से उतनी ही दूरी आगे जाओगे तो उपपद लग्न मिल जाएगा, उदाहरण की सहायता से में आप को समझता हूँ, माना किसी कुंडली में 12 वे भाव की स्वामी बनते है चन्द्रमा और जन्म कुंडली चतुर्थ भाव में स्थित है अब देखिये चौथा भाव बारहवें भाव से 5 भाव की दूरी पर है, अब आप को चौथे भाव से पाँच भाव आगे चलना है तो अब आप पहुँच जाएंगे जन्म कुंडली के 8 वे भाव में , बस अब जन्म कुंडली के 8 वे भाव को लग्न बना दीजिय और सभी ग्रह अपने आप शिफ्ट हो जाएंगे, इस प्रकार बन जायेगा उपपद लग्न, आप उपपद लग्न के द्वारा जान सकते हैं कि आप के लाइफ पार्टनर किस प्रकार के होंगे उनका स्वभाव किस तरह का होगा, उनका कार्य क्षेत्र क्या हो...

Kaise hota hai grahon ka prabhaw ( कैसे करते हैं ग्रह हम को प्रभावित )

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विश्व को भारत की देन (contribution of india towards world in knowledge )

विश्व को भारत की देन पार्ट -३  विश्व को भारत की देन वीडियो रूप में देखने के लिए यहाँ क्लिक करें भारत की विश्व को क्या क्या देन है इस संबंध में आर्टिकल लिख रहा हूँ अभी और कई अन्य जानकारी मैंने पिछले ब्लॉग्स में लिखी है आप से निवेदन है कि उनको भी पड़ें पाठकों आप ने अगर थोड़ा भी कभी गणित पड़ा होगा तो आप को ज्ञात होगा तो उस में एक प्रमेय है बिनोमियल थियोरम जिसे हिंदी में द्विपद प्रमेय कहा जाता है वो आर्यभट्ट की देन है,  इंटीग्रल कैलकुलस लाये भारत में सबसे पहले मध्वाचार्य और डिफरेंशियल कैल्कुलस लाये भास्कराचार्य diff कैलकुलस के आज के सिलेबस को सामने रख लो और भाष्कराचार्य जी की पुस्तक को रख लो सामने पता चल जाएगा, भारत के बाद कहीं दुनिया मे सबसे ज्यादा शोध हुए हैं तो फ्रांस और फ्रांसीसी लोग मानते हैं हमने गणित कहीं से सीखा है तो भारत से सीखा है , 0 से लेकर सारा नंबर सिस्टम भारत की देन है, गिनती हमने दी है, वैदिक गणित से तेज केलकुलेशन हमने सिखाई। और एक खोज है हमने विश्व को कृत्रिम बर्फ बनाने की तकनीक दी है , भारत मे  एक महान राजा हुए हर्ष वर्धन, उनके बारे में एक बात दुनिया...

क्या ग्रहों का प्रभाव सच में हमारे ऊपर होता है ( kyu hota hai grahon ka prabhaw )

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जब भी ज्योतिष की बात आती है तो आप सब के सामने एक शब्द जरुर आ जाता होगा कि ग्रह, आखिर क्यों ये हमको प्रभावित करते हैं , क्या सच मुच में लाखों करोड़ों किलोमीटर दूर स्थित ग्रह हमारे जीवन और असर डाल सकते है, अगर सभी ग्रह प्रभाव डालते है तो अरुण वरुण यम आदि को क्यों नहीं लिया जाता जबकि चन्द्रमा को लिया जाता है, तो आज मैं आप के इन सभी प्रश्नों के उत्तर दूँगा, साथियों अक्सर पड़े लिखे लोग जो विज्ञान को मानते है और कहते है कि इतनी दूर स्थित ग्रह हम पर कैसे प्रभाव डाल सकते हैं , तो आप को बताना चाहूंगा कि ये लोग ही बड़ी अवैज्ञानिक बात करते है, आप को ज्ञात होगा कि सूर्य पृथ्वी से लगभग 14.9 करोड़ किलोमीटर दूर है, और प्रकाश को आने मैं यहाँ 500 सेकण्ड लगते है जब प्रकाश 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से चलता है, और इसी प्रकाश की मदद से धरती पर वृक्ष पौधे आदि अपना भोजन बनाते है, प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा, और अगर सूर्य न हो तो धरती पर जीवन भी सम्भव नहीं होगा, इस तरह आप ने देखा सूर्य का प्रभाव अब यदि मैं कहूँ की चन्द्रमा भी तो प्रकाश देता है और वो भी सूर्य के प्रकाश को रिफ्लेक्ट करता है उस पर स्...

Contribution of india towards the best ( विश्व को भारत की देन) पार्ट - 2

भारत की विश्व को देन :- पार्ट - २ भारत की विश्व को देन वीडियो रूप में देखने के लिये यहाँ क्लिक करें एक प्रसंग सुनता हूँ डॉक्टर ओलिवर का जो 1710 के साल कोलकाता आये और एक डायरी लिखते हैं उस में एक पैराग्राफ है की भारत के लोग चेचक जैसी भयंकर बीमारी से लड़ने के लिये टीका लगाते हैं, 17 वीं शताब्दी में चेचक एक भयंकर महामारी थी उस समय भारत में सबसे कम लोग इस बीमारी से पीड़ित थे, अब आप को जानकर हैरानी होगी चेचक का टीका लगाना अंग्रेजो ने भारत से सीखा और ओलोवर सिख कर गया, तो उन्होंने पूछा इस में क्या है तो उन्होंने कहा जिस को चेचक हो जाये उसी की थोड़ी से पस निकाल कर दूसरे के शरीर में प्रवेश करा दें तो प्रतिरक्षा तंत्र विकसित हो जाता है ये सिद्धांत हमने दिया हैं विश्व को, बस दुर्भाग्य ये है कि जब ये सिद्धांत दुनिया में दर्ज हो रहा था तब हम वहां उपस्थित नहीं थे और आज ये ओलोवर के नाम से दर्ज है, और ओलिवर अपनी डायरी में लिख रहा है मैंने कलकत्ता में आकर सीखा, और ओलिवर कहते हैं कि भारत में टिका 1500 साल से लग रहे है और कहते हैं कि भारत के इन वैद्दो को प्रणाम करना चाहिये कि ये निःशुल्क अपनी सेवा ...

Kya hoti hai rashi ( क्या होती है राशियां )

क्या होती है राशि वीडियो रूप में देखने के लिए यहाँ क्लिक करे अक्सर आप ने सुना होगा लोगो को कहते हुए की मेरी राशि सिंह है तुला है, तब कभी न कभी आप के मन में भी ये प्रश्न उठा होगा कि आखिर ये राशि क्या होती हैं, तो आज में आप के इस प्रश्न का जबाब दूँगा,  जब हम आकाश मंडल को पृथ्वी के सापेक्ष 12 बराबर भागो में बांट देते है तो ये भाग राशि कहलाते हैं, हर ग्रह अपनी कक्षा में चक्कर लगा रहा है और जब और प्रत्येक ग्रह हमेशा किसी न किसी राशि में होता है, और जब ग्रहों के परिक्रमा करते समय विभिन्न राशियों में गोचर का पृथ्वी पर और उस पर रहने वाले जीवधारियों पर प्रभाव पड़ता है, उदाहरण के लिये बताऊँ जब चन्द्रमा गोचर में आते हुए पूर्णिमा के दिन समुद्र में ज्वार भाटा आना ग्रहों के गोचर के आधार पर ही होता है, हर राशि का अपना अपना स्वभाव और कार्यकत्व होता है और हर राशि का कोई न कोई ग्रह स्वामी होता है, इन राशियों में 4 तत्व पाए जाते है, प्रत्येक राशि का अलग अलग तत्व होते है ये तत्व जल अग्नि पृथ्वी वायु हैं, राशियाँ 3 प्रकार की होती है चर (स्थिर) राशि, अचर राशि, द्व स्वभाव राशि । इन्हीं राशियों का एक ...

Contribution of india towards world ( दुनिया को भारत की देन ) पार्ट -१

विश्व को भारत की देन वीडियो रूप में देखने के लिये यहाँ क्लिक करें दुनिया को भारत की देन को लेकर में एक आर्टिकल लिख रहा हूँ आशा है आप को जानकर हर्ष होगा और गर्व महसूस होगा, आप अन्य लोगों को भी बताए जिस से उनका अज्ञान मिटे, भारत में हम को पड़ाया जाता है कि भारत सबसे गरीब देश रहा सबसे पिछड़ा देश रहा है भारत, भारत ने दुनिया को कभी कुछ नहीं दिया अगर अंग्रेज इस देश में नहीं आते तो इस देश में कुछ नहीं होता विज्ञान, तकनीक , रेल, आदि कुछ नहीं होता है ऐसी हम सब चर्चा करते हैं और मुझे सबसे ज्यादा दुख और दुर्भाग्य ये लगता है हमारे गुरु हम को ये बताते हैं आजकल गुरु कम शिक्षक जादा हो गए हैं, और बताया इस तरह से जाता है कि सच लगने लगता है , आप ने एक मनोविज्ञान की बात सुनी होगी कि अगर किसी जुठ को 10 बार बोलो तो सच लगने लगता है, एक जुठ आज बोला जा रहा है भारत एक गरीब देश, अवैज्ञानिक देश, जहाँ रसायन विज्ञान नहीं, भौतिकी नहीं , भारत एक ऐसा देश जो परावलम्बी, भारत की सभ्यता संस्कृति में गौरव करने लायक कुछ नहीं और जो कुछ गौरव करने लायक है वो पाखण्ड है, उसका कोई वैज्ञानिक, तार्किक आधार नहीं इसी तरह की बात...

क्या है भारतीय ज्योतिष

इंडियन एस्ट्रोलॉजी एक परिचय आसान भाषा में वीडियो रूप में देखने के लिये यहां क्लिक करें मनुष्य के जीवन में सदा इक्षा रही है कि वो जानना चाहता है कि उसका भविष्य कैसा होगा, सनातन परंपरा के ऋषियों ने मानव कल्याण और मनुष्य को मार्गदर्शन करने के लिये उसके ईश्वर प्राप्ति में क्या क्या बधाएं आने वाली है और उसको क्या करना चाहिये सम्पूर्ण जीवन को समझने के लिये इस विद्या का निर्माण किया। भारतीय ज्योतिष सच में एक विज्ञान है, इस में ग्रहों नक्षत्र राशि आदि का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है, ज्योतिष आप को भाग्य वादी बनाने के लिये नहीं अपितु आप को ये बताने के लिये है की आप के किये हुए कर्मो का ही प्रतिफल आप को इस जीवन में मिला है, ज्योतिष पूर्व जन्म में यकीन रखता है, अब आप पूर्व जन्म को माने या न माने पर ज्योतिष मानता है। अक्सर देखा गया है जब किसी ज्योतिषि के द्वारा की गई भविष्यवाणी असत्य हो जाती है तो लोग कह देते है ज्योतिष विद्दा हो जुठ है, पंडितों के पैसे कमाने का यंत्र है आदि बातें पर साथियों जब किसी डॉक्टर के द्वारा ऑपरेशन फैल हो जाये तब नहीं कहा जाता कि मेडिकल साइंस गलत है ये ठीक उसी प्...

जन्म कुंडली के बारह भावों का महत्व ( kya hote hai bhav janm kundali mai )

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ज्योतिष से सम्बंधित महत्वपूर्ण ज्ञान को जाने हमारी वीडियो के माध्यम से भारतीय ज्योतिष में जीवन के विभिन्न पक्षों का विचार करने के लिए हम जन्म कुंडली के विभिन्न भावों का विचार करते हैं, इन भावों के द्वारा हम भविष्य फल कथन करते हैं, जन्म कुण्डली में 12 भाव होते हैं, हर भाव की महत्ता अपनी जगह अत्यधिक है हम किसी भी भाव को नजरअंदाज नहीं कर सकते जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली का अध्यन कर रहे हो, कुंडली में प्रथम पंचम व नवम भाव को त्रिकोण कहा जाता है, त्रिकोण शुभ स्थान होते हैं जो शुभ फल प्रदान करते है, ये व्यक्ति को जीवन में अपलिफ्ट करने का प्रयास करते है, जब इन भाव का आपस में सम्बन्ध होता है तो ये एक शुभ योग बनता है, इसी प्रकार छटे आठवें और बारहवें भाव को दुःस्थान भाव कहते हैं, अब जानते है जन्म कुंडली के सभी भावों की महत्ता जन्म कुंडली के सभी भावों की आसान विवेचना आसान भाषा में देखिये वीडियो रूप में प्रथम भाव ~  इस भाव को लग्न भी कहा जााता है, इसके द्वारा व्यक्ति के सम्पूर्ण व्यक्तित्व स्वभाव शारीरिक सरंचना हमारे जीवन में हम को कितना संघर्स करना पड़ेगा या सब कुछ आसान रह...