शनि लग्न में स्थित हो | shani in 1st house | शनि कुंडली के पहले भाव में

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शनि कुंडली में लग्न स्थित हो तो व्यक्ति को कुछ हद इंट्रोवर्ट बनाएगा मतलब की अपने मन की बात शेयर नहीं करते आप हर किसी से आसानी से। शनि व्यक्ति को कर्तव्यों को पालन करने वाला बनाता है। शनि मैरिड लाइफ में स्थायित्व तो देगा लेकिन आकर्षण स्नेह की कमी भी कर सकता है। शनि लग्न में स्थित हो तो यह व्यक्ति को कर्मठ मेहनती बनाएगा। शनि लग्न में स्थित हो तो व्यक्ति की गुप्त दान धर्म की प्रवृत्ति हो सकती है और व्यक्ति ज्यादातर कर्मवादी स्वभाव के होंगे।

क्या होता है परिवर्तन राज योग ? ( What is parivartan yoga )

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नमस्कार आज हम चर्चा करेंगे परिवर्तन योग के बारे में जो लोग लोग ज्योतिष का थोड़ा भी ज्ञान रखते होंगे उन्होंने इस योग का नाम अवश्य सुना होगा, हालांकि जिन्होंने नहीं सुना उनके लिये मैं बता दूं कि आखिर ये योग कैसे बनता है, आप को बता दूं कि जब दो ग्रह एक दूसरे की राशि में बैठे तब इस उयोग का निर्माण होता है जैसे सूर्य बुद्ध की राशि में बैठ जाये और बुद्ध सूर्य की राशि में तो इस योग का निर्माण होता है, आज हम इस योग के परिणाम के बारे में चर्चा करेंगे, इस योग को आमतौर पर किन्हीं दो ग्रहों की युति से भी अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, ज्योतिष शास्त्र में इस योग को 3 भागों में बांटा गया है पहला है महापरिवर्तन योग, दूसरा है कहल परिवर्तन योग, और तीसरा है दैन्य परिवर्तन योग।
अब आते है महापरिवर्तन योग पर यह योग तब बनता है जब केंद्र त्रिकोण दूसरे या ग्यारहवें भाव के आपसी परिवर्तन के द्वारा कई कई केशों में ये योग राजयोग से भी अधिक फलदाई होता है बस ध्यान यह रखे कि वो शरुआती या अन्तिम डिग्री पर न हों। अब आते है कहल परिवर्तन योग पर ये योग तब बनता है जब तीसरे भाव का स्वामी कुंडली के किसी भी भाग से परिवर्तन योग का निर्माण करता है सिवाय 6,8,12 भाव से, यह परिवर्तन योग मध्यम दर्जे का परिवर्तन राज योग है, और एक कैटगरी है दैन्य परिवर्तन योग यह योग तब बनता है जब 6,8,12 वे भाव के स्वामी किसी अन्य भाव से परिवर्तन राज योग बना ले तब ये दैन्य परिवर्तन राज योग बनता है। इनके नाम से न घबराए बस ये एक शब्दावली है उनके स्तर को दर्शाने के लिए, और एक और अन्य प्रकार का परिवर्तन योग बनता है जब 6,8,12 वे भाव के स्वामी आपस में परिवर्तन करें तो, पर इसको परिवर्तन योग नहीं विपरीत राज योग कहा जाता है। परिवर्तन योग में बैठे हुए ग्रह के साथ अगर कोई और अन्य ग्रह आ जाये तो उन ग्रह का प्रभाव भी परिवर्तन योग पर पड़ता है और ये एक शुभ स्थिति होती है, परिवर्तन यपग अगर 2 शत्रु ग्रहों के बीच बने तो भी इसको शुभ कहा जाता है, क्योकि फिर दोनों एक दूसरे के भाव का ध्यान रखेंगे ये दोनों ग्रहों के बीच की एक संधि होती है।
इस तरह आप देख सकते है कि योग किन किन भावो के मध्य बना है उसके हिसाब से आप परिणाम ज्ञात कर सकते हैं । जय श्री राम

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