नीच भंग राज योग जैसा कि नाम से ही पता चलता है , इस योग के तो जिस ग्रह की नीचता भंग हो जाये और वो अपनी नीचता त्याग कर उच्चता की ओर अग्रसर हो जाये उस अवस्था को नीच भंग राज योग कहा जाता है, तो आप को कुछ निम्नलिखित नियमो का ध्यान रखना होगा जब इस योग को कुंडली में देखें तो-
तो सबसे पहले आप को देखना है कि जो ग्रह नीच अवस्था में है और जिस राशि में नीच का स्थित है उस राशि का स्वामी अगर उच्च का है, अथवा उस राशि में आकर कोई ग्रह ग्रह उच्च का हो जाता है वो उसी नीच ग्रह के साथ युति में स्थित हो, जैसे बुद्ध मीन राशि में नीच का होता है, अब यदि गुरु उच्च का हो अथवा शुक्र बुद्ध के साथ स्थित हो तो यह नीच भंग राज योग बनेगा, और यदि यह योग 3,6,8,10,11 वे भाव में बनता है तो विशेष शुभ फलदाई होता है।
एक दूसरा नियम भी है यदि ग्रह जिस राशि मे नीच का स्थित है उस राशि का स्वामी चन्द्र या लग्न से केंद्र में हो तो भी यह राजयोग बनता है, पर इसकी शक्ति अब पिछले वाले राजयोग से कम दिखाई देगी, उदाहरण से देखिये सूर्य तुला राशि मे नीच का है और यदि शुक्र अथवा शनि, चन्द्रमा या लग्न से केंद्र में हो तो यह राजयोग बनता है। तीसरे प्रकार का भी योग बनता है जब जो ग्रह नीच राशि में स्थित है उसका स्वामी अथवा उस राशि में उचच होन वाला ग्रह चंद अथवा लग्न स केंद्र में हो अब इस नियम मैं ये जरूरी नहीं कि वो स्वग्रही हो, इसकी प्रबलता थोड़ी कम होती है ऊपरोक्त दोनो राजयोगों से। अब जब आप इस योग में युति को देखे तो डिग्री का अवश्य ध्यान रखें। नीच भंग राज योग में ग्रह शुभ फल देते हैं बाहरी जीवन में जैसे कर्म क्षेत्र, पब्लिक लाइफ में पर यह इतना अच्छा फल नहीं दे पाता है, व्यक्तिगत जीवन में शुभ फल नहीं दे पाता है। आशा है आप को मेरा लेख पसन्द आया होगा नीचभंग राज योग पर।
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