शनि लग्न में स्थित हो | shani in 1st house | शनि कुंडली के पहले भाव में

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शनि कुंडली में लग्न स्थित हो तो व्यक्ति को कुछ हद इंट्रोवर्ट बनाएगा मतलब की अपने मन की बात शेयर नहीं करते आप हर किसी से आसानी से। शनि व्यक्ति को कर्तव्यों को पालन करने वाला बनाता है। शनि मैरिड लाइफ में स्थायित्व तो देगा लेकिन आकर्षण स्नेह की कमी भी कर सकता है। शनि लग्न में स्थित हो तो यह व्यक्ति को कर्मठ मेहनती बनाएगा। शनि लग्न में स्थित हो तो व्यक्ति की गुप्त दान धर्म की प्रवृत्ति हो सकती है और व्यक्ति ज्यादातर कर्मवादी स्वभाव के होंगे।

जन्म कुंडली के बारह भावों का महत्व ( kya hote hai bhav janm kundali mai )

भारतीय ज्योतिष में जीवन के विभिन्न पक्षों का विचार करने के लिए हम जन्म कुंडली के विभिन्न भावों का विचार करते हैं, इन भावों के द्वारा हम भविष्य फल कथन करते हैं, जन्म कुण्डली में 12 भाव होते हैं, हर भाव की महत्ता अपनी जगह अत्यधिक है हम किसी भी भाव को नजरअंदाज नहीं कर सकते जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली का अध्यन कर रहे हो, कुंडली में प्रथम पंचम व नवम भाव को त्रिकोण कहा जाता है, त्रिकोण शुभ स्थान होते हैं जो शुभ फल प्रदान करते है, ये व्यक्ति को जीवन में अपलिफ्ट करने का प्रयास करते है, जब इन भाव का आपस में सम्बन्ध होता है तो ये एक शुभ योग बनता है, इसी प्रकार छटे आठवें और बारहवें भाव को दुःस्थान भाव कहते हैं, अब जानते है जन्म कुंडली के सभी भावों की महत्ता




प्रथम भाव~  इस भाव को लग्न भी कहा जााता है,
इसके द्वारा व्यक्ति के सम्पूर्ण व्यक्तित्व स्वभाव शारीरिक सरंचना हमारे जीवन में हम को कितना संघर्स करना पड़ेगा या सब कुछ आसान रहेगा आदि बातो का विचार किया जाता है कहा जाता है अगर लग्न मजबूत है तो हम बड़े से बड़े संकट को भी पार कर सकते हैं, लग्न अत्यंत ही महत्वपूर्ण भाग है जन्म कुंडली का, सर्वप्रथम इसी का अध्यन किया जाता है।

द्वतीय भाव ~ इस भाव को धन भाव भी कहा जाता है, इसके द्वारा धन , पैतृक सम्पत्ति, कुटुम्ब, वाणी का विचार किया जाता है, नेत्र का विचार भी इसी भाव से होता है।

तृतीय भाव ~ इस भाव को पराक्रम भाव भी कहते है इस के द्वारा व्यक्ति के जीवन में किये हुए एफर्ट्स को देखा जाता है, छोटे भाई बहनों का विचार इसी भाव से होता है, ये भाव भी काफी महत्वपूर्ण भाव है।
चतुर्थ भाव ~ इस भाव को सुख स्थान कहा जााता है, इस भाव के द्वारा हम सुख वाहन भवन माता पेट आदि बातो का विचार इसी भाव के द्वारा किया जाता है।

पंचम भाव ~ इस भाव से हम सन्तान का विचार, उच्च शिक्षा, पूर्व जन्म लव लाइफ रोमांस मनोरंजन मीडिया फ़िल्म लाइन आदि का विचार किया जाता है।

षष्टम भाव ~ इस भाव से हम रिपु ऋण बीमारी प्रतियोगी परीक्षा या  अन्य कोई भी प्रतियोगिता इन सब बातों का विचार इस भाव के द्वारा किया जाता है।

सप्तम भाव ~ इस भाव से हम पार्टनर को देखते है चाहे वो लाइफ पार्टनर हो या बिजनेस पार्टनर, पत्नी अथवा पति, करियर का विचार इस भाव से होता है

अष्टम भाव ~ इस भाव से हम आयु गुप्त विद्दा तंत्र मंत्र छुपी हुई चीजें, कॉमन सेंस आदि बातो का विचार इस भाव से होता है।

नवम भाव ~ इस भाव से हम धंर्म भाग्य पिता धार्मिक रुचि का विचार होता है।

दशम भाव ~ इस भाव से हम कर्म क्षेत्र का विचार , व्यक्ति अपने जीवन में क्या कर्म करेगा चाहे अब कोई महिला है जो सिर्फ घर का कार्य करती है तो ये भी उसका कर्म कहा जाएगा।

एकादश भाव ~ इस भाव से हम अपने कर्म द्वारा किये हुए लाभ को देखते है, हमरी इक्षा पूर्ति का भाव , बड़े भाई बहनों को, दोस्तों का, विचार  किया जाता है, इस भाव मेें कोई  भी ग्रह हो शुुुभ फल प्रदान करता है।

द्वादश भाव ~ बारहवे भाव से मोक्ष खर्चो जेेेल यात्रा अपमान विदेश यात्रा शय्या सुख नाश इत्यादि का विचार 12 वे भाव से होता है सभी भावों की हमारे जीवन में महत्ता समान है।जन्म कुंडली के सभी भावों की विवेचना आसान भाषा में देखिये वीडियो में

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