दुनिया को भारत की देन को लेकर में एक आर्टिकल लिख रहा हूँ आशा है आप को जानकर हर्ष होगा और गर्व महसूस होगा, आप अन्य लोगों को भी बताए जिस से उनका अज्ञान मिटे, भारत में हम को पड़ाया जाता है कि भारत सबसे गरीब देश रहा सबसे पिछड़ा देश रहा है भारत, भारत ने दुनिया को कभी कुछ नहीं दिया अगर अंग्रेज इस देश में नहीं आते तो इस देश में कुछ नहीं होता विज्ञान, तकनीक , रेल, आदि कुछ नहीं होता है ऐसी हम सब चर्चा करते हैं और मुझे सबसे ज्यादा दुख और दुर्भाग्य ये लगता है हमारे गुरु हम को ये बताते हैं आजकल गुरु कम शिक्षक जादा हो गए हैं, और बताया इस तरह से जाता है कि सच लगने लगता है , आप ने एक मनोविज्ञान की बात सुनी होगी कि अगर किसी जुठ को 10 बार बोलो तो सच लगने लगता है, एक जुठ आज बोला जा रहा है भारत एक गरीब देश, अवैज्ञानिक देश, जहाँ रसायन विज्ञान नहीं, भौतिकी नहीं , भारत एक ऐसा देश जो परावलम्बी, भारत की सभ्यता संस्कृति में गौरव करने लायक कुछ नहीं और जो कुछ गौरव करने लायक है वो पाखण्ड है, उसका कोई वैज्ञानिक, तार्किक आधार नहीं इसी तरह की बाते सुनते सुनते हम बड़े हुये हैं, अब में स्टार्ट करता हूँ कि भारत ने क्या क्या दिया तो, सबसे पहली भाषा संस्कृत और लिपि ब्राह्मी भारत ने दुनिया को दी है इस बात को अब दुनियाभर के वैज्ञानिक मानने लगे हैं और अगर भाषा आप ने दी है तो दुसरी बात कही जा सकती है कि बोलना आप ने सिखाया,
भारत की चिकित्सा पद्धति काफी उन्नत और श्रेष्ठ रही है उदहारण के लिए में आप को बताता हूँ, एक महिर्षि हुए वाग्भट्ट उन्होंने हजारों साल पहले श्लोक दिया कि जो भोजन खेत में जितनी देर में आये उतना ही समय उसको पकने में लगना चाहिए पवन का स्पर्श औए सूर्य का प्रकाश भोजन को बनते समय चाहिये,अब हम ले आये प्रेशर कुकर जल्दी के चक्कर में और जो अरहर की दाल खेत में 6 महीने में बनती है उसको जल्दी पकाया तो फोकट में ही जोड़ों के दर्द ले लिया, शुगर ले ली, उन्होंने बताया कि पानी को सिप कर कर के पियो, सुबह उठ कर पानी पियो, स्वस्थ व्रत के जो सूत्र हैं उन पर विदेशों में हजारों करोड़ की रिसर्च होती है और वो कहते हैं तो फिर हम को गर्व होता है, हमारी कमी ये रही कि हम इनको कुछ बड़ी बात मानते ही नहीं, अगर ये बातें दुनिया में हमने स्थापित कर दी होती तो
एलोपैथी चिकित्सा में उन्होंने एक चीज पर काबू पाया है वो है दर्द से लड़ना उस में भी अभी कामयाब नहीं हुए पूरी तरह से, में एक पुराना उदाहरण देता हूँ कि एलोपैथी में क्या होता था, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति हुए जार्ज वाशिंगटन उनको एक बार बुखार आया तो एलोपैथी के सब बड़े डॉक्टर आये उन्होंने कहा कि इनके शरीर में खराब खून घुस गया है वो निकालो तो उन महानुभावों ने उनके हाथ की नस काट दी और रात भर में सारा खून निकल गया और वो मर गए, ठीक उसी समय में भारत मे बड़े से बड़ा बुखार गिलोय का काढ़ा नीम का काढ़ा देकर ठीक किया जाता था,
यूनानी चिकित्सा आयुर्वेद से निकली है,
प्लास्टिक सर्जरी का अविष्कार भारत मे हुआ अब में आप को तथ्य दूँगा की 1780 में भारत मे एक राजा हुए हैदरअली उन पर कई अंग्रेज़ो ने हमले किये तो उन में एक अंग्रेज आया कर्नल कूट उसकी हैदर अली ने नाक काट दी, और उसके हाथ में रख दी और घोड़ा दिया और कहा भाग जाओ, तब में बेलगाम में आया वहाँ मुझे एक वैद्य ने देख लिया और कहा ये नाक कैसे कगत गई तो मैंने जुठ बोला पत्थर से कट गई, तो उन्होंने कहा नहीं ये तलवार से कटी हुई नाक है किसने काटी तो मैंने कहा आप के राजा ने काटी, उसके बाद वो मुझे अपने साथ ले गये कई दिन रखा और मेरी नाक जोड़ दी उसके बाद वो लंदन जाता है और सबसे पार्लियामेंट में खड़े होकर कहता है आप को मेरी नाक काटी हुई लग रहि है तो सब कहते हैं नहीं और वो उन वैद्य के बारे में बताते हैं उसके बाद उनकी खोज खबर ली गई , उसके बाद कुछ लोग आए उन्होंने उन से बात की तो वो कहते ये काम तो भारत मे हर जगह होता है, फिर इंग्लैंड से कुछ लोग आते हैं जिनमे से एक अंग्रेज थॉमस क्रूसो लिखता है मैन यहाँ प्लास्टिक सर्जरी सीखी और फिर इंग्लैंड जाकर इसको सीखने का स्कूल खोला, और कर्नल कूट की डायरी आज भी लंदन के आर्काइव में सुरक्षित है, पार्लियामेंट में सब रिकार्डेड हैं, और जो लोग यहाँ से प्लास्टिक सर्जरी सिख कर गए उन्हीं लोगों ने द फेलो ऑफ रॉयल सोसाइटी लंदन की स्थापना की...... अब आर्टिकल काफी बड़ा होता जा रहा है फिर समय आने पर लिखूंगा समय मिलते ही आशा है आप को पसंद आया होगा।
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