प्रणाम जी,
क्या था राम राज्य, क्या ये हकीकत था या सिर्फ कल्पना, कहा जाता है
दैहिक दैविक भौतिक तापा, रामराज नहीं काहू व्यापा ।।
अर्थात किसी भी व्यक्ति को कोई कस्ट नहीं था किसी भी प्रकार का, तो मैंने सर्च किया आखिर राम राज्य क्या था ,कैसे उसकी अर्थव्यवस्था चलती थी, क्या नियम कायदे थे राज्य के,
आदि तमाम ऐसे प्रश्न है जो मेरे दिमाग में रह रह कर उठते रहते हैं, इन्ही प्रश्नों पर किया गया मेरा शोध मैं आप से शेयर कर रहा हूँ, आशा है आप को पसन्द आयेगा आप भी इसे जादा से ज्यादा लोगो तक पहुंचाए, जय सनातन धर्म।
मैं कुछ समय पहले राम राज्य के बारे मे कुछ सर्च कर रहा था तो मैंने कम्बन ऋषि के बारे मे सुना उनका साउथ मैं बहुत बोल बाला है जैसा अपने यहाँ तुलसी दास जी का है, तो राम वनगमन के बाद, भरत जी राम से मिलने जाते है तो वो कहते है आओ प्रभु आप अयोध्या का राजगद्दी पर बैठो और राम राज्य की स्थापना करो, तब रामचंद्र जी कहते हैं कि पहले मेरे कुछ प्रश्नों का उत्तर दो, तब रामचन्द्र जी कई प्रश्न पूछते है, सब तो मैं नहीं बता रहा यहाँ पर एक बताता हूँ कि राम जी पूछते है कि तुम अपने राज्य के साधुओं आचार्यो गुरुओं पुरोहितों का उतना ही सम्मान करते हो जितना मैं करता था, तब भरत जी कहते है हाँ प्रभु मैं सब का सम्मान करने की कोशिश करता हूँ जितना आप करते थे, पर पुरोहितों के लिये मेरे मन मे कुछ कम सम्मान है क्योंकि वो सिर्फ पूजा पाठ ही तो कराते है, और क्या करते है वो, तब राम जी कहते है नही एक बार गुरुओं और आचार्यो का सम्मान कम हो जाये तो कोई बात नही पर पुरोहित को भी उतना ही आदर दो, क्योंकि वो तुम्हारे राज्य की अर्थव्यवस्था का आधार है, क्योंकि जब भी कोई पूजा कर्म होता है तो पुरोहित एक लिस्ट बना देता है समान की 7 घड़े कोरे लाना अब इस से कुम्हार का विक्री हुई,सप्त धातु के बर्तन,7 अनाज, गाय का घी लाओ अब इस से ग्वालो का भी काम चले, इस तरह तमाम समनो की लिस्ट होती है, अब आज कल तो लोग ब्रामणो से चिढ़ते हैं,तो शायद किसी ने कोई अनुष्ठान कराया हो, तो देखना बहुत लंबी लिस्ट होती है, कभी देखना इस से वो प्राचीन समय मैं अर्थव्यवस्था का बूस्ट करते हैं, और रामचन्द्र जी ने कहा कि जो जिजमान के घर का पानी भी न पिये उनका ही सम्मान करें अर्थात जो दक्षिणा इत्यादि की मांग करे उनका सम्मान न करो, इस से लालच अर्थात आज कल जो लोग बाकयदा डील करते है कि 8 लाख दो तो ही आयेंगे ac मंच चाइए, फिर राम वनगमन की कहानी सुनाएंगे ख़ुद ac मैं बैठे है और बोल रहे है कि राम पर दुखो का पहाड़ टूट गया खुद रोयेंगे और जनता को रुलायेंगे, कथा कम नृत्य संगीत का कार्यक्रम अधिक बना देते हैं, इस प्रकार के लोगो से दूर रहो, क्योंकि कोई फायदा नहीं आजतक तो राम की कहानी सुन कर कोई राम न हुआ, तो इस से अच्छा है देश का कुछ भला हो ऐसा ही कुछ ढूंढ ले उस मैं से।
राम कथा, भागवत कथा, कहने वालों को मेरी ये पोस्ट जरूर पहुंचाए माफ करना तो जी कुछ गलत बोल दिया हो तो बालक जान कर क्षमा करना ।
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