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अक्सर आप सभी ने विपरीत राज योग का नाम सुना होगा जो भी व्यक्ति जो थोड़ा भी ज्योतिष का ज्ञान रखते हैं वो जानते होंगे कि विपरीत राज योग क्या है, पर फिर भी में आप को बता देता हूँ कि ये राज योग किस प्रकार बनता है, जब भी 6वे, 8वे, 12वे भाव के स्वामी इन्हीं भाव में बैठे तो इस योग का निर्माण होता है, ये आमतौर पर बनने वाला राजयोग है, शास्त्रों में इस योग के 3 प्रकार बताए गए हैं-
जब 6वे भाव का स्वामी 6,8 ,12 वे में स्थित हो तो विपरीत हर्ष नाम का राज योग बनाता है। और यदि 8वे भाव का स्वामी 8,6,12 वे भाव मे उनके स्वामी के साथ बैठे तो बनता है विपरीत सरल राज योग, और यदि12 वे भाव का स्वामी 12,6,8 वे भाव में बैठे तो बनता है विपरीत विमल राज योग, और यदि इन्हीं भाव के स्वामी आपस में युति मैं किसी भी भाव में बैठे हुए हो, अथवा परिवर्तन योग में हो तो यह योग बनता है। अब देखिए इस योग के फलित होने का तरीका क्या है, इसका नाम ही विपरीत राजयोग है, राजयोग यानी एक शुभ स्थिति पर इसके साथ नाम जुड़ा है विपरीत। अब ये फलित होगा तो व्यक्ति के लिये अच्छा भी है बुरा भी,अच्छा इश्लिये है क्योंकि व्यक्ति उन्नति करेगा, और बुरा इश्लिये क्योंकि जब भी यह योग फलित होगा तो व्यक्ति के जीवन में विपरीत परिस्थिति का निर्माण होगा, और फिर व्यक्ति उन विपरीत परिस्थितियों से लड़ कर बाहर आएगा, इश्लिये बुरा है क्योंकि यह पहले बुरे समय का निर्माण करता है तब जाकर शुभ फल देता है, जबकि अन्य राजयोग ऐसा कुछ नहीं करते वो एक शुभ समय काल देते हैं। यह घठित तभी होगा जब इसकी दशा आएगी, इस योग को देखते समय हमको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए कि विपरीत राज योग बनाने वाले ग्रह कहीं पीड़ित तो नहीं है अगर उन ग्रहों की शक्ति कम है तो परिणाम अच्छे नहीं होंगे, मंगल शनि राहु केतु द्वारा पीड़ित हों, तो विपरीत परिस्थितियों का निर्माण तो होगा पर वो अन्त में शुभ स्थिति का निर्माण नहीं करेगा जैसे कि अन्य स्थिति में होता है, और एक अन्य प्रकार है विपरीत राज योग का की यदि 6,8,12 वे भाव के स्वामी अपने ही भाव में स्थित हो बजाये की अन्य भाव में इससे वो अपने भाव को खराब नहीं करेगा, ये भी एक अच्छी स्थिति होगी, और एक अन्य प्रकार का सरवोपरि विपरीत राजयोग है जब विपरीत राजयोग बनाने वाले ग्रह साथ ही केंद्र त्रिकोण राज भी योग बना दें, इस समय में आप के सामने विपरीत परिस्थिति तो बनेंगी, पर आप के सामने एक विलक्षण मौका मिलेगा की आप को शीर्ष पर पहुंच देगा, उदाहरण से समझना चाहो तो तुला लग्न में शुक्र बुद्ध की युति लग्न में ही हो जाये तो यह उच्च कोटि का विपरीत राज योग होगा,जब इस प्रकार का राज योग बने तो ये आप को अपने पहले वाले जीवन से भी आगे ले जा सकता है, और आकस्मिक कुछ अच्छे मोके आप को मिलेंगे, और यह अगर निम्न दर्जे का है तो विपरीत परिस्थितियों का निर्माण तो होगा पर आप को कोई ऑपरट्यूनिटी नहीं मिल पाएगी की आप इस से बाहर आ जाओ, तो आज हमने इस प्रकार जाना कि विपरीत राज योग क्या है और यह कैसे फलित होता है।
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