शनि लग्न में स्थित हो | shani in 1st house | शनि कुंडली के पहले भाव में

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शनि कुंडली में लग्न स्थित हो तो व्यक्ति को कुछ हद इंट्रोवर्ट बनाएगा मतलब की अपने मन की बात शेयर नहीं करते आप हर किसी से आसानी से। शनि व्यक्ति को कर्तव्यों को पालन करने वाला बनाता है। शनि मैरिड लाइफ में स्थायित्व तो देगा लेकिन आकर्षण स्नेह की कमी भी कर सकता है। शनि लग्न में स्थित हो तो यह व्यक्ति को कर्मठ मेहनती बनाएगा। शनि लग्न में स्थित हो तो व्यक्ति की गुप्त दान धर्म की प्रवृत्ति हो सकती है और व्यक्ति ज्यादातर कर्मवादी स्वभाव के होंगे।

Contribution of india towards the best ( विश्व को भारत की देन) पार्ट - 2

भारत की विश्व को देन :-

पार्ट - २

एक प्रसंग सुनता हूँ डॉक्टर ओलिवर का जो 1710 के साल कोलकाता आये और एक डायरी लिखते हैं उस में एक पैराग्राफ है की भारत के लोग चेचक जैसी भयंकर बीमारी से लड़ने के लिये टीका लगाते हैं, 17 वीं शताब्दी में चेचक एक भयंकर महामारी थी उस समय भारत में सबसे कम लोग इस बीमारी से पीड़ित थे, अब आप को जानकर हैरानी होगी चेचक का टीका लगाना अंग्रेजो ने भारत से सीखा और ओलोवर सिख कर गया, तो उन्होंने पूछा इस में क्या है तो उन्होंने कहा जिस को चेचक हो जाये उसी की थोड़ी से पस निकाल कर दूसरे के शरीर में प्रवेश करा दें तो प्रतिरक्षा तंत्र विकसित हो जाता है ये सिद्धांत हमने दिया हैं विश्व को, बस दुर्भाग्य ये है कि जब ये सिद्धांत दुनिया में दर्ज हो रहा था तब हम वहां उपस्थित नहीं थे और आज ये ओलोवर के नाम से दर्ज है, और ओलिवर अपनी डायरी में लिख रहा है मैंने कलकत्ता में आकर सीखा, और ओलिवर कहते हैं कि भारत में टिका 1500 साल से लग रहे है और कहते हैं कि भारत के इन वैद्दो को प्रणाम करना चाहिये कि ये निःशुल्क अपनी सेवा दे रहे हैं...
और अब तकनीक की बात करूं तो सारी दुनिया को स्टील बनाना भारत ने सिखाया,और आप जानते हैं स्टील एक बहुत कॉम्प्लिकेटेड टेक्नोलॉजी हैं, और आप को एक तथ्य दूं एक अंग्रेज भारत आय 1795 में और उन्होंने सर्वे किया तो कहा भारत में स्टील के 15000 छोटे फैक्ट्री चलते देखे, और उन में ब्लास्ट फरनेस बनाने का खर्चा 4500 रुपये आता है आज की मुद्रा के हिसाब से , और 1 किलो स्टील बनती थी 80 पैसे में आज ख़र्चा आता है 40 रुपये, तो कहना ही पड़ेगा स्माल स्केल इंडस्ट्री ही सुपर थी, भारत में सेंकडो साल से ऐसी परम्परा है कि ऐसा स्टील बनाया जाता है जिस में जंग नहीं लगती, आप जाइये दिल्ली में एक गाँव है महरौली वहाँ लोह स्तम्भ बना हुआ है सैकड़ों सालों से बारिश में भीग रहा है पर एक इंच मात्र भी जंग की एक परत भी नहीं आई है, और वो अंग्रेज कहता है भारत का स्टील दुनिया में प्रीमियम प्राइज़ पर बिक रहा है, और ये अंग्रेज भारत से सिख कर फय वहाँ जाकर मेटलर्जी का स्कूल खोला और दुर्भाग्य से उसी के नाम दर्ज हो गया कि सबसे पहले स्टील किसने बनाई।
और अब एक और रोचक जानकारी दूँ सन 1895 में शिवकर बापू जी तलपड़े जी ने विमान बना लिया था और वो 1500 फीट ऊपर गया, उन्होंने महिर्षि भारद्वाज की विमानशाश्त्र पुस्तक का अध्यन किया और कहा इस में विमान बनाने के 500 सिद्धांत का वर्णन किया हैं और 32 प्रक्रिया बताई है जिस के द्वारा विमान बनाया जा सकता है, इस पुस्तक में 3000 श्लोक हैं, अर्थात 32 तरीके हैं 500 तरह के विमान बनाने के, और जब वो विमान उडा तब गोविंद राना डे , उस समय हाई कोर्ट के जज हुआ करते थे वो गये, वडोदरा के गायकवाड़ राजा गए देखने, ऐसे बीसियों बड़े लोगों के सामने हजारों लोगों की उपस्थिति में विमान उड़ाया गया, लेकिन उन के साथ धोखा हुआ, रैली ब्रदर्स नाम की एक कंपनी उनके पास आई और बोली कि ड्राइंग और डिजाइन हमको दे दो, हम आप की मदद करने इसको दुनिया के सामने लाने में लेकिन वो कंपनी लंदन जाकर बापू तलपदे को भूल गई और वो ही डिज़ाइन राइट ब्रदर्स के हाथ लग गया, बाद तलपदे जी की मृत्यु हो गई और शक भी ये है कि उनकी हत्या कर दी गई और यसे व्यक्ति की हत्या करना स्वाभाविक है।
अब बात करते हैं कुछ खलोग विज्ञान की हम ज्यादातर पड़ते हैं की दो व्यक्तियों के नाम ही ज्यादातर श्रेय है कॉपर निकस और गैलोलियो लेकिन जब अध्यन किया तो पता चला कि इन से हज़ारों साल पूर्व एक व्यक्ति हुए आर्यभट्ट उन्होंने बताया कि सूर्य अपने अक्ष पर स्थित है और पृथ्वी इसके चारों ओर घूम रही है ये, और उन्होंने कुछ सूत्र दिए उनके आधार पर उन्होंने पृथ्वी सूर्य के बीच की दूरी निकाल कर दी और आप जानकर हैरान हो जायेंगे की आज तक कोई खगोल शास्त्री दुनिया उनकी निकली हुई दूरी को चुनोती नहीं दे पाया, और उन्होंने बताया सूर्य निरापद नहीं है इस में काले धब्बे हैं और इस को स्टीफन हवकिन्स नाम के वैज्ञानिक ने अपने नाम से लिखा कर वर्ल्ड पेटेन्ट ले लिया है, सारे ग्रह सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित है ये सारी दुनिया को आर्यभट्ट ने बताया, और गर्व की बात ये है कि महिर्षि आर्यभट्ट ने बताया शनि के 7 उपग्रह है और आज के वैज्ञानिक8 8 वा नहीं खोज पाये, क्योंकि है ही नहीं आगर  होता तो आर्यभट्ट ही बता जाते, अब ये बिना दूरबीन के तो संभव नहीं होगा, तो में दावे से कह सकता हूँ पहली दूरबीन उन्ही ने बनाई होगी, सारी दुनिया ने उसी से नकल कर के सीख होगा, उन्होंने पुस्तक लिखी ब्रह्तसहिंता और आर्यभट्ट सहिंता उस में सैकड़ों सूर्य चन्द्र के बारे में सबसे चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के बारे में आर्यभट्ट ने हमको बताया, वो भी किसी तिथि को होगा किस समय होगा ठीक ठीक गणनाएं हमको आर्यभट्ट ने बताई, और एक बारीक बात बताऊं आर्यभट्ट जी ने बारीकी से समय का अध्यन किया और दिन रात के आधार पर 7 दिन निर्धारित कर दिए सारी दुनिया 8वा नहीं खोज पाई , बस अंतर इतना है सारे धरमः के लोगो ने अपनी अपनी भाषा में भाषांतरित कर लिया चाहे वो मुस्लिम हो यहूदी हो ईसाई हो।
और एक योगदान है महिर्षि आर्यभट्ट का गणित में त्रिकोणमिति आर्यभट्ट की खोज है, और आप जानते इसी के प्रयोग से सारी दुनिया का निर्माण कार्य चलता है अगर आप कर नहीं सकते।
इसी तरह गणित में एक महान ऋषि हुए भाष्कराचार्य उन्होंने गणित की पहली पुस्तक लिखी लीलावती आप को जानकर हैरानी होगी बहुत सारे देशों अपना गणित का सिलेबस लीलावती को आधार बना कर बनाया है, इसी तरह के महिर्षि हुए ब्रह्मगुप्त इन्होंने सारी दुनिया को सिखाया जोड़ना घटाना गुना भाग करना सिखाया, ब्रह्मगुप्त के नाम ही ये खोज है वर्ग करना वर्गमूल करना, घन करना घन मूल करना, हमारे आज का बीजगणित महर्षि ब्रह्मगुप्त की पुस्तकों पर आधारित है, पाइथागोरस ने जो प्रमेय बताई उसको बोधायन प्रमेय कहा  जाता है वो भारत में  3500 साल से पढ़ाई जाती रही है, पर पाइथागोरस ने चालाकी से अपने नाम दर्ज करा ली.....
To be continued

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