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सबसे पहले में आप को बताता हूँ कि आप किस प्रकार अपना उप-पद लग्न निकाल सकते हो, अपनी जन्म कुंडली के द्वारा, बिल्कुल आसान है बस आप दिए हुए इंस्ट्रक्शन फॉलो कीजिये, सबसे पहले आप देखिये की आप की जन्म कुंडली में 12 वे भाव का स्वामी किस जगह स्थित है, और अब गिनिए की 12 वे भाव से 12th लार्ड कितने भाव दूर है, और अब जहाँ 12th लार्ड स्थित है उस से उतनी ही दूरी आगे जाओगे तो उपपद लग्न मिल जाएगा, उदाहरण की सहायता से में आप को समझता हूँ, माना किसी कुंडली में 12 वे भाव की स्वामी बनते है चन्द्रमा और जन्म कुंडली चतुर्थ भाव में स्थित है अब देखिये चौथा भाव बारहवें भाव से 5 भाव की दूरी पर है, अब आप को चौथे भाव से पाँच भाव आगे चलना है तो अब आप पहुँच जाएंगे जन्म कुंडली के 8 वे भाव में , बस अब जन्म कुंडली के 8 वे भाव को लग्न बना दीजिय और सभी ग्रह अपने आप शिफ्ट हो जाएंगे, इस प्रकार बन जायेगा उपपद लग्न, आप उपपद लग्न के द्वारा जान सकते हैं कि आप के लाइफ पार्टनर किस प्रकार के होंगे उनका स्वभाव किस तरह का होगा, उनका कार्य क्षेत्र क्या होगा, कुल मिला कर यह कह सकते हैं कि ये आपके लाइफ पार्टनर की कुंडली बन गई है, अब इस उप पद लग्न के द्वतीय भाव को देखिये यह बताता है कि आप का वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा, आप के लाइफ पार्टनर की आयु भी इसी भाव द्वारा ज्ञात होती है, अगर द्वतीय भाव पर पाप प्रभाव है तो जैसे शनि मंगल राहु केतु आदि द्वारा पीड़ित है या स्वयं वो यहाँ पर खराब स्थिति में है तो निश्चित रूप से ये वैवाहिक जीवन मे समस्या पैदा करता है, अब बात करते है कुछ नियमो की जिनको लगा कर आप जान सकते हैं कि आप वैवाहिक जीवन कैसा होगा कितनी अवधि तक चलेगा आदि, पहला नियम ये है आप देखिये की उपपद लग्न का स्वामी किस भाव में स्थित है ये दर्शायेगा की आप वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा और कितनी अवधि तक रहेगा, अगर लग्न का स्वामी 6 वे , 8 वे , या 12 वे भाव में तो कुछ समस्या देगा, जैसे 6 वे भाव में है तो वाद विवाद, आर्गुमेंट आदि की समस्या, 8 वे भाव में है तो अचानक से कुछ समस्या का आ जाना दर्शाता है, 12 वे भाव में है तो हो सकता है दाम्पत्य जीवन कम अवधि का हो, या व्यय, हॉस्पिटल, कोर्ट आदि के कारण समस्या हो, अब ऐसा नहीं कह सकते कि अगर ऐसा हो तो आप कह दो की समस्या होगी ही, ग्रह की स्थिति भी देखे, अगर ग्रह उच्च या स्व राशि में है तो नहीं होगी और भी अन्य योगों को देखिये।
दूसरा नियम ये है कि जो भी ग्रह उपपद लग्न के स्वामी के साथ स्थित है वो बतायेगा की आप जीवन साथी का व्यवहार, स्वभाव, कैसा होगा, फैमिली बैकग्राउण्ड कैसा होगा, करियर या प्रोफेशनल बेक ग्राउंड पता चलता है आप के स्पाउस का।
अब तीसरा नियम ये है की आप को देखना की कोन से ग्रह आपनके उपपद लग्न में स्थित है वो बतायेंगे की आप के जीवनसाथी का स्वभाव, व्यक्तित्व कैसा होगा।
तीसरा नियम है कि आप को देखना है उपपद लग्न का द्वतीय भाव, इसके द्वारा हम वैवाहिक जीवन के समय को ज्ञात करते हैं कितने ड्यूरेशन रहेगी ये पता चलता है, द्वतीय भाव से, अगर इस भाव में मंगल शनि राहु केतु नीच अवस्था में है या खराब योगों का निर्माण करते है तो बताएंग की हो सकता है वैवाहिक जीवन कम अवधि का हो, ये आप के स्पाउस की आयु का भी भाव है, देखिये इसका विश्लेषण काफी बारीकी से करना है, अगर आप को नहीं आता है समझ तो इसे छोड़ दिगीए, जादा डिटेल में जाने की आवश्यकता नहीं है,
चौथा और आखिरी सब से खास नियम देखना है कि उपपद लग्न के स्वामी नवमांश में स्थिति देखना है, अगर वो खराब भावों में है या उस पर पाप प्रभाव है नीच राशि में है तो विवाह टूटेगा ही या कोई बड़ी समस्या आएगी, अगर उपपद लग्न का स्वामी नवमांश में ठीक स्थिति में है तो वैवाहिक जीवन लंबे समय तक रहेगा, चाहे कितनी भी समस्या आये उनका निवारण होगा, वैवाहिक जीवन हमेशा कायम रहेगा,ये कुछ नियम है जो आप को देखना है कि दाम्पत्य जीवन कैसा रहेगा उसके लिये इन सभी नियमो को आप काफी सावधानी पूर्वक अप्लाई करें।
जय श्री राम
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