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मई, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

शनि लग्न में स्थित हो | shani in 1st house | शनि कुंडली के पहले भाव में

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शनि कुंडली में लग्न स्थित हो तो व्यक्ति को कुछ हद इंट्रोवर्ट बनाएगा मतलब की अपने मन की बात शेयर नहीं करते आप हर किसी से आसानी से। शनि व्यक्ति को कर्तव्यों को पालन करने वाला बनाता है। शनि मैरिड लाइफ में स्थायित्व तो देगा लेकिन आकर्षण स्नेह की कमी भी कर सकता है। शनि लग्न में स्थित हो तो यह व्यक्ति को कर्मठ मेहनती बनाएगा। शनि लग्न में स्थित हो तो व्यक्ति की गुप्त दान धर्म की प्रवृत्ति हो सकती है और व्यक्ति ज्यादातर कर्मवादी स्वभाव के होंगे।

राहु के द्वारा जन्म कुंडली में बनने वाले अचानक धन प्राप्ति के योग

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राहु जन्म कुंडली में कुछ विशेष परिस्थितियों में बैठ कर धन देने वाला ग्रह बन जाता है। राहु की प्रवृत्ति है कि वह अचानक से फल देता है, अतः यह धन लाभ भी अचानक करवाता है। राहु यदि कुंडली के 2, 5, 9 और 11 भाव में बैठा हो और भावेश बलि अवस्था में केंद्र त्रिकोण में हो और राहु केतु द्वारा दृष्ट न हो तो यह अपार धन देता है। राहु की शुक्र के साथ युति शुभ भाव मे धन देती है। राहु की किसी राजयोग के साथ उपस्थित उसके फल को बड़ा देती है। कुंडली के और योगों जो कि राहु द्वारा बनते हैं उनके बारे में जानने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

किस ग्रह की दशा में आएगा 'उच्च वाहन' अचूक तरीका | Bhartiya Astrology

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शुक्र देगा भोग विलास एवं सुख, महवपूर्ण फालित सूत्र | Bhartiya Astrology

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कुंडली के अनुसार इस ग्रह को प्रशन्न करेंगे तो चमक जाएगा भाग्य बदल जाएगा ...

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कब आएगा धन सटीक समय जानें इस सूत्र द्वारा - Arpit Shukla | Bhartiya Astr...

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व्यापार में उन्नति के लिए करें यह विशेष उपाय

यदि आप को व्यवसाय या व्यापार में समस्या आ रही है तो आप को यह खास उपाय अवश्य ही आजमाना चाहिए, यह उपाय आप शुक्ल पक्ष के सोमवार से शुरू कर सकते हैं और 7 दिन तक यह उपाय करना है। आप को पान के 5 पत्ते, पीपल के 8 पत्ते और बिल्व के 21 पत्ते एक ही धागे में पूर्व दिशा की ओर बांध दे ,अगले दिन फिर नए पत्ते बांधे। ऐसा लगातार 7 दिन ऐसा करें और पुराने पत्तों को गमले में डाले। आप को अवश्य ही लाभ होगा और जब अगला सोमवार आये तो भोलेनाथ की विधि विधान से श्रद्धा पूर्वक आराधना करें और अपनी समस्या को बाबा भोलेनाथ को बताए।

उच्च ग्रह भी दे सकते हैं खराब फल !

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कई बार हम देखते हैं कि पत्रिका में ग्रह उच्च के बैठे हुए हैं तो हम कहने लग जाते हैं कि व्यक्ति के लिए बहुत शुभ फल देंगे उनकी दशा अच्छी जाएंगी और जब दशा आती है तो हमको इसके विपरीत परिणाम देखने को मिलता है, ऐसा क्यों होता है ? यह सब हम जानने का प्रयास करेंगे। ज्योतिष में ग्रहों के फल जानने के कुछ नियम हैं :  1. सबसे पहले देखें कि कौन सा ग्रह उच्च का कहीं अकारक ग्रह तो उच्च का नहीं है, अगर ऐसा है तो हमें उससे ज्यादा उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। अकारक ग्रह वे ग्रह हैं जो 3, 6, 8 या 12 भाव का स्वामी हैं, और यह ग्रह उच्च का हो तो बेहतर फल नहीं देगा। वहीं लग्न का स्वामी ,त्रिकोण का स्वामी, योगकारक ग्रह उच्च के हो बेहतर फल देने वाले होते हैं। 2. उच्च ग्रह के साथ नीच का ग्रह स्थित होने से उच्च ग्रह की शक्ति कम होती है जिस वजह से वह जितने अच्छे फल दे सकता था उतने बेहतर परिणाम नहीं दे सकता क्योंकि उच्च ग्रह में से ऊर्जा स्थानांतरित होती है नीच ग्रह की तरफ। 3. ग्रहों के कई बल शास्त्रों में बताए गए हैं उन्हीं में से यह उच्च नीच का बल राशि आधारित है, इसी प्रकार ग्रह यदि शुभ भाव उच्च न हो ...

Shakat Yoga in astrology in Hindi

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 शकट योग के बारे में जानने से पहले हम समझते हैं इस शब्द का अर्थ क्या है ? इसका अर्थ है रथ का पहिया। जिस प्रकार रथ का पहिया घूमता है और वह जब घूमता है तो पहिये का कोई भी स्थान विशेष बार बार ऊपर नीचे होता ठीक इसी प्रकार शकट योग जिस किसी भी व्यक्ति कुंडली में होगा यह जीवन में उतार-चढ़ाव का प्रतीक है, जीवन में स्थायित्व की कमी देखने को मिल सकती है। किस प्रकार बनता है शकट योग कुंडली में यह योग गुरु और चंद्रमा के द्वारा बनता है आप जानते हैं चंद्रमा हमारे मन का कारक है भावनात्मक शक्ति को दिखाता है और बृहस्पति स्थिरता सम्पन्नता का कारक है यदि चंद्रमा से 6, 8 और 12वे भाव में गुरु स्थित हो तो शकट योग का निर्माण होता है। यदि बृहस्पति और चंद्रमा एक दूसरे से शुभ भाव में स्थित होते हैं तो व्यक्ति के जीवन में संपन्नता स्थिरता के साथ आती है। कब भंग हो जाता है शकट योग यदि बृहस्पति लग्न पर दृष्टि रखता है तो शकट योग भंग हो जाता है। लग्न से बृहस्पति शुभ भावों में हो तो भी यह योग कट जाता है। नोट : पर यदि लग्न से भी यह शुभ भावों में न हो और न ही लग्न पर दृष्टि देता हो तो इसके फल बहुत घातक ह...

पर्वत योग के फल जन्म कुंडली में | Parvat Yoga in Kundali

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 जन्म कुंडली में पर्वत योग एक राजयोग की श्रेणी में आता है। यह योग जिस किसी भी व्यक्ति की कुंडली में बनता है वह व्यक्ति काफी धनवान होता है व्यक्ति के जीवन में समृद्धि रहती है। यदि ऐसा व्यक्ति राजनीति में प्रयास करे तो ऊंचे पद तक भी जा सकता है, सरकारी नौकरी में यदि व्यक्ति काम करता है तो भी व्यक्ति को उच्च पद पर जाने के अवसर मिल सकते है या कह सकते हैं व्यक्ति उन्नति करता है। व्यक्ति के अंदर दुसरो की सहायता करने की भावना होती है परोपकारिता के गुण भी होते हैं। किस प्रकार बनता है पर्वत योग पर्वत कुंडली में 3 प्रकार से बन सकता है -  1. यदि कुंडली में लग्नेश उच्च , मूल त्रिकोण राशि अथवा स्वराशि का होकर केंद्र या त्रिकोण भाव में स्थित हो साथ ही पाप प्रभाव से मुक्त हो तो पर्वत योग का निर्माण होता है। 2. लग्न का स्वामी और द्वादश भाव का स्वामी एक दुसरे से केंद्र में हो और वह पीड़ित नहीं होने चाहिए तब भी यह पर्वत योग का निर्माण करते हैं। 3. कुंडली के केंद्र भावों में शुभ ग्रह स्थित हो तथा 6वा भाव व 8 वा भाव भी पाप प्रभाव से मुक्त होना चाहिए इस प्रकार भी पर्वत योग का निर्माण होत...

ज्योतिष के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर कब खत्म होने लगेगी

कोरोना महामारी अत्यंत भयावह रूप ले चुकी है, आज के समय हर कोई त्राहिमाम कर रहा है हर कोई यह जानना चाहता है कि यह कोरोना महामारी कब अंत होगी। बृहस्पति देव ने हाल ही में राशि परिवर्तन करके जब यह कुंभ राशि में आये तभी से भारत में कोरोना महामारी ने सर उठाना शुरू कर दिया था। केतु जो कि इन सब का कारक है वह भी अपने उच्च अवस्था में अतः यह कोरोना को बल दे रहा है। गुरु जब फिर से वक्री होते हुए राशि परिवर्तन करेंगे मकर राशि में तब यह महामारी खत्म होने लगेगी। भारत में सामान्य स्थिति होने में लगभग दिसंबर माह 2021 तक का समय लग सकता है। हालांकि जून के बाद से ग्रहों की स्थिति कुछ ऐसी बन रही है जो हालात को सामान्य करने लगेगी।  भारत की कुण्डली पर बुध मारकेश हैं । राहु लग्न में हैं और शनि भी 27 तारीक से वक्री होने वाले हैं ये सिलसिला इतनी जल्दी ठीक नहीं होगा । फाइनेंशियली भी और कोरोना की दृष्टि से वैसे 2020 ट्रेलर था 2021 इंटरवल और 2022 का अंत शायद सुखद हो ।

भारतीय ज्योतिष में ब्लड ग्रुप का क्या महत्व है ?

 वैसे तो ब्लड ग्रुप की खोज काफी आधुनिक है लेकिन हमारे ऋषियों ने विशेष रूप से पाराशर जी ने इसके बारे में चर्चा करी है। जब हम विवाह करते हैं तब गुण मिलान करवाए जाते हैं, इसी गुण मिलान में एक फेक्टर होता है नाड़ी का, गुण मिलान में सबसे अधिक महत्व नाड़ी को दिया है और इसके अंक भी सबसे अधिक है।  यदि किसी व्यक्ति की नाड़ी समान होती है तो उनका विवाह नहीं करा जाता है और हम यदि उन दोनों व्यक्तियों का ब्लड ग्रुप चेक कराये तो समान मिलेगा।  नाड़ी दोष की स्थिति में व्यक्ति को संतान उतपत्ति में परेशानी आती है और यदि संतान हो भी जाये तो उसको कई रोग रहते हैं बौद्धिक रुप से कमजोर होती है। नाड़ी के द्वारा भी हमारे ऋषियों ने ब्लड ग्रुप को भांप लिया था कहीं न कहीं।

Parijat yoga in kundli

महर्षि पराशर ने अपने ग्रंथ बृहद पराशर होरा शास्त्र में पारिजात योग का वर्णन किया है। पारिजात योग का फल यदि योग का निर्माण कुंडली में होता है तो व्यक्ति प्रशिद्धि को प्राप्त करता है। विलक्षणो वाला होता है, धनवान होता है, वाहन और प्रोपर्टी का स्वामी भी होता है, परम्पराओं और रीति रिवाज को मानने वाला होता है। इस योग का विशेष फल व्यक्ति के जीवन के उत्तरार्द्ध में देखने को मिलता है, यह योग व्यक्ति को जीवन में सफलता के शिखर तक लेकर जाता है या यूं कहे की व्यक्ति का जीवन सफल रहता है। कुल मिलाकर यह एक सुंदर राजयोग है। किस प्रकार बनता है पारिजात योग पराशर जी के अनुसार हमारी जन्म पत्रिका में जो लग्न का स्वामी ग्रह है वह जिस भी राशि में स्थित हो, उस राशि का स्वामी उच्च का हो या मूल त्रिकोण राशि का हो या स्व राशि का हो तो यह योग बनता है।  इसके अलावा इस योग के फल कथन करते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि लग्न पर किसी भी रूप में पाप प्रभाव न हो अर्थात 6, 8 व 12 भाव के स्वामियों द्वारा प्रभावित न हो, न ही लग्नेश पर भी पाप प्रभाव हो, लग्नेश शुभ भावों में हो, लग्नेश पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तब यह योग ...

जन्म कुंडली में काहल योग के फल

 वैसे तो ऋषि पराशर ने ज्योतिष शास्त्र में कई योगों का वर्णन किया है लेकिन कुछ योग है जो अति प्रशिद्ध है उन्हीं में से एक यह योग है काहल योग। काहल योग के फल जिस भी व्यक्ति की कुंडली में काहल योग होता है वह गांव, समाज, संस्थान का प्रधान होता है अर्थात व्यक्ति निश्चित ही उच्च पद पर पहुचता है। व्यक्ति में साहस भरपूर मात्रा में देखा जा सकता है। व्यक्ति ह्रदय विशाल होता है, किसी की भी सहायता करने के लिए सदैव ततपर रहता है। व्यक्ति के पास धन की कोई कमी नहीं रहती है और सामान्यतः यह कहा जाता है कि व्यक्ति के जीवन का उत्तरार्द्ध अधिक बेहतर है रहता है शुरुआती जीवन की अपेक्षा। किस प्रकार बनता है काहल योग जब भी जन्म कुंडली में लग्नेश बली अवस्था में हो और अच्छे भाव में स्थित हो जैसे केंद्र त्रिकोण या 11वे भाव में हो साथ किसी भी शत्रु ग्रह का प्रभाव नहीं होना चाहिए। कुंडली के चौथे भाव और नवे भाव के स्वामी एक दूसरे से केंद्र में स्थित हो बलवान होकर, साथ में किसी भी नकारात्मक ग्रह का प्रभाव न हो तो यह योग पूर्णतः फलीभूत होते हुए देखा गया। यदि योग बनाने वाले ग्रह कमजोर हुए तो योग कुछ भी फल नहीं देगा,...

सूर्य के कन्या राशि में फल

 जन्म कुंडली में सूर्य कन्या राशि में स्थित होकर कैसे फल देगा यह जानने से पहले जानना होगा कन्या राशि को, कन्या राशि काल पुरूष कुंडली की 6वे भाव की मूल राशि है इसका स्वामी ग्रह बुध है। सूर्य और बुध आपस में मित्र ग्रह है। यदि सूर्य पर राहु, शनि, शुक्र और केतु का प्रभाव नहीं है तो सूर्य यहाँ स्थित होकर बेहतर फल देता है सूर्य कन्या राशि में स्थित होकर व्यक्ति को परफेक्शनिस्ट बनता है , किसी भी प्रकार की रिसर्च वर्क के लिए यह सूर्य बहुत ही शुभ स्थिति में है। मेडिकल फील्ड में जाने के लिए उत्तम योग है विशेष रूप से सर्जन यदि मंगल या केतु का प्रभाव आता है तो साथ में हमें अन्य योग भी देखना चाहिए कुंडली में। कन्या राशि में होने की वजह से यह आर्गुमेंट करने वाला स्वभाव भी सूर्य प्रदान करेगा। व्यक्तित्व को एक रिज़र्वनेश भी सूर्य प्रदान करता है। आप अपनी जन्म कुंडली का विश्लेषण करवाना चाहते हैं पंडित अर्पित शुक्ला जी से तो व्हाट्सएप करें 8818828849 पर।

दूसरे और बारहवे भाव में परिवर्तन योग होने पर क्या होता है

 जन्म कुंडली में जब भी दूसरे भाव और 12वे भाव में आपस में परिवर्तन होगा तो यह दिखाता है कि व्यक्ति के जीवन में फ्लो ऑफ मनी बना रहेगा यानी की पैसा आता जाता रहेगा। व्यक्ति के मन में यदि कोई इक्षा होती है कि यह चीज लेना है तो परमात्मा कहीं न कहीं से अरेंजमेंट कर देगा चाहे जेब खाली हो।यानी कि पैसा टिकेगा नहीं। जन्मकुंडली का 12वा भाव कालपुरुष कुंडली के मीन राशि को दिखाता है और दूसरा भाव वृषभ राशि को दिखाता है और दोनों ही राशियों में शुक्र अच्छा फल देते हैं। शुक्र भौतिक सुख का कारक ग्रह है अतः यह व्यक्ति इक्षाओं की पूर्ति के लिए शुभ योग है पर धन संचय व्यक्ति अपने जीवन में नहीं कर सकता।

अत्यधिक धन देने वाला योग -वसुमान योग/वसुमती योग

 वसुमान योग को ज्योतिष में एक धन योग की तरह बताया गया है, निश्चित रुप से यह योग धन देता है और बुद्धिमान भी बनाता है पर इस योग से कुछ हानि भी है या कहें कुछ कमियां भी यह योग व्यक्ति के अंदर उत्पन्न करता है।  वसुमान योग यदि व्यक्ति की पत्रिका में बने तो व्यक्ति का जन्म काफी समृद्ध परिवार में होता है या कहें कि सभी सुख सुविधा सहज ही मिल जाती है। व्यक्ति का बचपन काफी बेहतर रहता है पर इस योग की वजह से जैसे जैसे समय गुजरता है तो व्यक्ति दुनियादारी के अनुभवों से वंचित रह जाता है और कहीं न कहीं आगे चलकर कष्ट भोगता है। इसका कारण यही है कि बचपन में इतना सुखमय वातावरण बच्चे को मिला कि वो समझ ही नहीं पाया दुःख क्या है ? कष्ट क्या है ? बच्चे को सारी सुख वैभव की चीजें बड़ी आसानी से मिल गई तो वो उनकी वैल्यू समझ नहीं पाता यही समस्या का मूल कारण बनती है। इस सब के वावजूद यदि व्यक्ति को सही मार्गदर्शन मिले तो इसका लाभ अवश्य होता है व्यक्ति की सभी इक्षायें सहज ही पूरी हो जाती हैं धन की कमी नहीं रहती है। यह योग होगा तो व्यक्ति, किसी भी अन्य व्यक्ति से कभी कोई कार्य की मना नहीं कर पाते यानी कि प्रति...

Guru 10 bhav mai | guru 10th house | गुरु दशवें भाव में फल | Jupiter in the 10th house

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गुरु कुंडली के दशवें भाव में स्थित होगा तो किस तरह के फल देगा ? गुरु एक बहुत ही शुभ ग्रह है और दशम भाव हमारे करियर को दिखाता है जब भी गुरु 10वे भाव में होगा तो यह आप को शुभ कर्म करने वाला बनाएगा यानी आप कभी किसी को नुकसान पहुंचा कर कोई काम नहीं करेंगे यह स्थिति आप को नाम सम्मान तो दे देगा पर इसका फायदा आप को आर्थिक रूप से या प्रमोशन के रूप में नहीं देगा। बृहस्पति के कारण आप जब भी कोई काम हाथ में लेंगे तो उसको अंत तक अवश्य लेकर जाएंगे यानी कि बीच में नहीं छोड़ेंगे। पिता से अधिक उन्नतिशील बनाएगा। सम्मान और प्रतिष्ठा आप को पैसे से ज्यादा प्रिय होगी यानी कि कोई प्रेम से बात करें सम्मान दे। आप के कार्य की प्रशंसा करे, तो आप बहुत अच्छा लगता है यह देखने को मिल सकता है। कई बार यदि किसी प्रकार की समस्या आ जाए तो उपाय या सॉल्यूशन आप सबसे पहले ढूंढ लेते हैं यह देखने में मिल सकता है। गुरु आप के धन भाव को देख रहा है अतः समाज में लोगो के मध्य आप की यह इमेज बनी रह सकती है कि आप के पास अच्छा पैसा है। चतुर्थ भाव पर दृष्टि परिवार से लगाव को दिखाता है और आप को अपनी फैमिली की वजह से भी जाना जाए यह हो स...