शनि लग्न में स्थित हो | shani in 1st house | शनि कुंडली के पहले भाव में
शकट योग के बारे में जानने से पहले हम समझते हैं इस शब्द का अर्थ क्या है ? इसका अर्थ है रथ का पहिया। जिस प्रकार रथ का पहिया घूमता है और वह जब घूमता है तो पहिये का कोई भी स्थान विशेष बार बार ऊपर नीचे होता ठीक इसी प्रकार शकट योग जिस किसी भी व्यक्ति कुंडली में होगा यह जीवन में उतार-चढ़ाव का प्रतीक है, जीवन में स्थायित्व की कमी देखने को मिल सकती है।
किस प्रकार बनता है शकट योग कुंडली में
यह योग गुरु और चंद्रमा के द्वारा बनता है आप जानते हैं चंद्रमा हमारे मन का कारक है भावनात्मक शक्ति को दिखाता है और बृहस्पति स्थिरता सम्पन्नता का कारक है यदि चंद्रमा से 6, 8 और 12वे भाव में गुरु स्थित हो तो शकट योग का निर्माण होता है।
यदि बृहस्पति और चंद्रमा एक दूसरे से शुभ भाव में स्थित होते हैं तो व्यक्ति के जीवन में संपन्नता स्थिरता के साथ आती है।
कब भंग हो जाता है शकट योग
यदि बृहस्पति लग्न पर दृष्टि रखता है तो शकट योग भंग हो जाता है।
लग्न से बृहस्पति शुभ भावों में हो तो भी यह योग कट जाता है।
नोट : पर यदि लग्न से भी यह शुभ भावों में न हो और न ही लग्न पर दृष्टि देता हो तो इसके फल बहुत घातक हो सकते हैं।
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