शनि लग्न में स्थित हो | shani in 1st house | शनि कुंडली के पहले भाव में

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शनि कुंडली में लग्न स्थित हो तो व्यक्ति को कुछ हद इंट्रोवर्ट बनाएगा मतलब की अपने मन की बात शेयर नहीं करते आप हर किसी से आसानी से। शनि व्यक्ति को कर्तव्यों को पालन करने वाला बनाता है। शनि मैरिड लाइफ में स्थायित्व तो देगा लेकिन आकर्षण स्नेह की कमी भी कर सकता है। शनि लग्न में स्थित हो तो यह व्यक्ति को कर्मठ मेहनती बनाएगा। शनि लग्न में स्थित हो तो व्यक्ति की गुप्त दान धर्म की प्रवृत्ति हो सकती है और व्यक्ति ज्यादातर कर्मवादी स्वभाव के होंगे।

Parijat yoga in kundli

महर्षि पराशर ने अपने ग्रंथ बृहद पराशर होरा शास्त्र में पारिजात योग का वर्णन किया है।

पारिजात योग का फल

यदि योग का निर्माण कुंडली में होता है तो व्यक्ति प्रशिद्धि को प्राप्त करता है। विलक्षणो वाला होता है, धनवान होता है, वाहन और प्रोपर्टी का स्वामी भी होता है, परम्पराओं और रीति रिवाज को मानने वाला होता है। इस योग का विशेष फल व्यक्ति के जीवन के उत्तरार्द्ध में देखने को मिलता है, यह योग व्यक्ति को जीवन में सफलता के शिखर तक लेकर जाता है या यूं कहे की व्यक्ति का जीवन सफल रहता है। कुल मिलाकर यह एक सुंदर राजयोग है।

किस प्रकार बनता है पारिजात योग

पराशर जी के अनुसार हमारी जन्म पत्रिका में जो लग्न का स्वामी ग्रह है वह जिस भी राशि में स्थित हो, उस राशि का स्वामी उच्च का हो या मूल त्रिकोण राशि का हो या स्व राशि का हो तो यह योग बनता है। 
इसके अलावा इस योग के फल कथन करते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि लग्न पर किसी भी रूप में पाप प्रभाव न हो अर्थात 6, 8 व 12 भाव के स्वामियों द्वारा प्रभावित न हो, न ही लग्नेश पर भी पाप प्रभाव हो, लग्नेश शुभ भावों में हो, लग्नेश पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तब यह योग पूर्णतः फलीभूत होते हुए देखा जाता है।

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