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शनि लग्न में स्थित हो | shani in 1st house | शनि कुंडली के पहले भाव में

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शनि कुंडली में लग्न स्थित हो तो व्यक्ति को कुछ हद इंट्रोवर्ट बनाएगा मतलब की अपने मन की बात शेयर नहीं करते आप हर किसी से आसानी से। शनि व्यक्ति को कर्तव्यों को पालन करने वाला बनाता है। शनि मैरिड लाइफ में स्थायित्व तो देगा लेकिन आकर्षण स्नेह की कमी भी कर सकता है। शनि लग्न में स्थित हो तो यह व्यक्ति को कर्मठ मेहनती बनाएगा। शनि लग्न में स्थित हो तो व्यक्ति की गुप्त दान धर्म की प्रवृत्ति हो सकती है और व्यक्ति ज्यादातर कर्मवादी स्वभाव के होंगे।

भावात भावम सिद्धांत क्या है

भावात भावम सिद्धांत ज्योतिष का एक अति महत्वपूर्ण सिद्धांत है इसको जानने के बाद आप एक बिगनर एस्ट्रोलॉजर से एक्सपर्टीज की तरफ बढ़ जाओगे, सबसे पहले जानते हैं भावात भावम का अर्थ क्या होता है, भावात का अर्थ है भाव से और भावम का अर्थ है भाव को। अर्थात आप भाव से भाव को फलित करते हैं तो इस सिद्धांत का प्रयोग करते हैं इसके द्वारा हम अपने सभी रिश्तेदारों जैसे पत्नी/ पति का परिवार, करियर, उनके भाई बहन का पता लगा सकते हैं कुछ अन्य उदाहरण दे रहा हूँ में जैसे बहु दामाद जीजा मौसा मोसी साला चाचा चाची मामा मामी नाना तमाम लोगों के बारे में जान सकते हैं । अब इस सिद्धांत को किस प्रकार अप्लाई करते हैं उसके लिये मैंने एक वीडियो बनाया है आप उसको देखिये और अपनी कुंडली में अप्लाई कीजिये और उस के तहत आने वाले परिणामो के बारे में मुझे बताइये। भावात भावम सिद्धांत

कब मिलती है जल्दी सफलता जानें ज्योतिष से ( How to see early success in life by astrology )

कब मिलती हर जल्दी सफलता जानने के लिये क्लिक करें यहाँ कब मिलती है जल्दी सफलता क्या योग हैं जो व्यक्ति को जल्दी सफलता दिला देता है, व्यक्ति जो अपना लक्ष्य सेट करते हैं 18 से 20 वर्ष की आयु में उसको वो पूरा कर लेते हैं, और 30 वर्ष की आयु तक अपने आप को सेटल कर लेते हैं तथा अधिक संघर्ष नहीं करना पड़ता जबकि कुछ लोग 30 वर्ष की आयु तक या उसके बाद भी संघर्ष करते रहते हैं क्या योग बनते हैं और किन ग्रहों को जानना आवश्यक है, और उनकी प्लेसमेंट देखना आवश्यक है। लग्न और लग्नेश दशमेश के अलावा भी कुछ इस प्रकार के कॉम्बिनेशन बनते हैं जो ज्योतिष के विद्यार्थियों को जानना आवश्यक हैं। इन में से कुछ पॉइंट में आप को लेख के माध्यम से बताऊंगा और बाकी के आप को दी हुई लिंक से वीडियो के द्वारा देख सकते हैं- सबसे पहले आप देखें कि आप की कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति किस प्रकार की है अगर चन्द्र पीड़ित है यानी आप का मन पीड़ित है तो आप का किसी कार्य में मन ही नहीं लगेगा भले ही आप का सूर्य मजबूत हो पर चन्द्र कमजोर हो गया तो मन पर कंट्रोल नहीं बचेगा, और यह भटकाव की स्थिति पैदा करता है, अब देखना यह है कि पीड़ित चन्द्रमा ...

सूर्य और ज्योतिष Sun and Astrology

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सूर्य का महत्व ज्योतिष शास्त्र में , वीडियो रूप में देखने के लिये यहाँ क्लिक करें सूर्य को ग्रहों का राजा कहा जाता है, क्योंकि सूर्य के पास अपना प्रकाश है और अन्य ग्रह सिर्फ सूर्य के प्रकाश से ही प्रकाशित हैं, सूर्य संसार की आत्मा है, इसके बिना धरती पर जीवन की कल्पना भी नहीं कि जा सकती, सूर्य से आने वाले प्रकाश से ही पेड़ पौधे भोजन का निर्माण करते हैं और फिर आगे की खाद्य श्रृंखला का प्रारम्भ होता है, सूर्य अल्टीमेटली ऊर्जा का स्त्रोत है, चाहे वो प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष। सूर्य एक अति महत्वपूर्ण ग्रह है, यह हमारे जीवन के कई महत्वपूर्ण भागों को नियंत्रण में रखता है, सूर्य हमारी आत्मा को रिप्रेजेंट करता है, जिस किसी भी व्यक्ति की आत्मा मजबूत हो वो व्यक्ति बडी से बड़ी समस्या को भी पार पा जाता है। सूर्य और चन्द्र को ज्योतिष में अति महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है। सूर्य सरकार, राजा, राजनीति, पिता, रोगप्रतिरोधक क्षमता, पेट, ह्रदय, छाती, आँख, दृस्टि, अहंकार, घमण्ड, यश, मान सम्मान, पद, प्रतिष्ठा, अथॉरिटी, उच्च पद, बॉस, CEO, सीनियर, कार्य क्षेत्र, ऑफिस, कलीग, करियर,  सिंघासन, आदि कई चीज...

Relationship between planets and rashi ( ग्रह और राशि में सम्बन्ध )

निम्नलिखित आर्टिकल को वीडियो रूप में देखने के लिये यहाँ क्लिक करें ग्रह और राशि में क्या सम्बन्ध है इस विषय पर जानना जरूरी है यदि आप ज्योतिष सीखना चाहते हैं, बिना इनके जाने आप आगे नहीं बड़ सकते यह बेसिक पार्ट है। सबसे पहले जानते हैं राशि क्या होती है, अगर सूर्य को केंद्र मानकर सौरमण्डल को 12 बराबर भाग में बांटे तो हमको राशि प्राप्त होती हैं और एक राशि 30 अंश की होती है क्योंकि सौरमण्डल एक वृत्त के जैसा है। हर ग्रह हमेशा किसी न किसी राशि में भ्रमण करता रहता है। सब जानते है कि ग्रह और राशि मे क्या सम्बन्ध है, ज्योतिष शास्त्र में प्रतेयक ग्रह को किसी न किसी राशि की लॉर्डशिप मालिकाना हक दिया गया है, अब जानते हैं कि किस राशि का स्वामी कोन है- 1 मेष - मंगल 2 वृष - शुक्र 3 मिथुन - बुद्ध 4 कर्क - चन्द्रमा 5 सिंह - सूर्य 6 कन्या - बुद्ध 7 तुला - शुक्र 8 वृश्चिक - मंगल 9 धनु - गुरु 10 मकर - शनि 11 कुम्भ - शनि 12 मीन - गुरु इस प्रकार इन राशियों का कोई न कोई स्वामी है, कुछ ग्रह को दो राशि का स्वामित्व दिया गया है तो कुछ को एक का, राहु और केतु को किसी भी राशि का स्वामी नहीं बनाया ग...

Kundali milan | क्यों किया जाता है जन्म कुंडली मिलान ?

अक्सर आप ने देखा होगा हिन्दू समाज में जब भी लोग विवाह करने के लिये अग्रसर होते हैं तो सबसे पहले कहते हैं कि बच्चों की कुंडली मिलान कर लिया क्या ? आखिर क्यों कहा जाता है कुंडली मिलान के लिये ? यही सब प्रश्न मेरे मन मे भी आते पर जब मैंने कुछ जगह अध्यन किया आदि तब जाकर एक समझ बनी वो में आप से शेयर कर रहा हूँ। विवाह से पूर्व कुंडली मिलान, गोत्र मिलान किया जाता है, नाड़ी मिलान की जाती है, ये सब कुछ बहुत ही साइंटिफिक प्रक्रिया है, आप देख लेना चाहो तो कभी भी जिस किसी की भी नाड़ी समान है गोत्र समान है तो 100% उनका ब्लड ग्रुप भी एक ही होगा, और उनके DNA में भी समानता होगी लगभग, और अगर ये लोग विवाह करेंगे तो विवाह के बाद परेशानी आना आरम्भ हो जाएंगी, जैसे सन्तान उत्तपत्ति न होना, भले ही दोनों बोल्जिकली ठीक हों, फिर भी कुछ न कुछ समस्या आना , और अगर जैसे तैसे सन्तान हो भी जाये तो उसके मंद मति का होना, जैसी बातें सामने आती हैं। पर आज कल प्रेम विवाह का प्रचलन बड गया है, और कुछ संस्थाओं ने सर्वे किया कि प्रेम विवाह करने वाले लोगों के ही तलाक सबसे ज्यादा होते हैं, क्योंकि कुंडली मिलान नहीं कि गई, प्रेम ...