शनि लग्न में स्थित हो | shani in 1st house | शनि कुंडली के पहले भाव में

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शनि कुंडली में लग्न स्थित हो तो व्यक्ति को कुछ हद इंट्रोवर्ट बनाएगा मतलब की अपने मन की बात शेयर नहीं करते आप हर किसी से आसानी से। शनि व्यक्ति को कर्तव्यों को पालन करने वाला बनाता है। शनि मैरिड लाइफ में स्थायित्व तो देगा लेकिन आकर्षण स्नेह की कमी भी कर सकता है। शनि लग्न में स्थित हो तो यह व्यक्ति को कर्मठ मेहनती बनाएगा। शनि लग्न में स्थित हो तो व्यक्ति की गुप्त दान धर्म की प्रवृत्ति हो सकती है और व्यक्ति ज्यादातर कर्मवादी स्वभाव के होंगे।

सूर्य और ज्योतिष Sun and Astrology

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सूर्य को ग्रहों का राजा कहा जाता है, क्योंकि सूर्य के पास अपना प्रकाश है और अन्य ग्रह सिर्फ सूर्य के प्रकाश से ही प्रकाशित हैं, सूर्य संसार की आत्मा है, इसके बिना धरती पर जीवन की कल्पना भी नहीं कि जा सकती, सूर्य से आने वाले प्रकाश से ही पेड़ पौधे भोजन का निर्माण करते हैं और फिर आगे की खाद्य श्रृंखला का प्रारम्भ होता है, सूर्य अल्टीमेटली ऊर्जा का स्त्रोत है, चाहे वो प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष। सूर्य एक अति महत्वपूर्ण ग्रह है, यह हमारे जीवन के कई महत्वपूर्ण भागों को नियंत्रण में रखता है, सूर्य हमारी आत्मा को रिप्रेजेंट करता है, जिस किसी भी व्यक्ति की आत्मा मजबूत हो वो व्यक्ति बडी से बड़ी समस्या को भी पार पा जाता है। सूर्य और चन्द्र को ज्योतिष में अति महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है।
सूर्य सरकार, राजा, राजनीति, पिता, रोगप्रतिरोधक क्षमता, पेट, ह्रदय, छाती, आँख, दृस्टि, अहंकार, घमण्ड, यश, मान सम्मान, पद, प्रतिष्ठा, अथॉरिटी, उच्च पद, बॉस, CEO, सीनियर, कार्य क्षेत्र, ऑफिस, कलीग, करियर,  सिंघासन, आदि कई चीजों का प्रतिनिधित्व सूर्य के पास है। अगर हमरा सूर्य अच्छी स्थिति में है तो हमारे सरकार से रिश्ते ठीक रहते हैं, सरकारी कार्यों में बाधा नहीं आती है। बॉस से बनती है। या खुद ही बॉस होते हैं। महत्वाकांक्षी बनाता है सूर्य और उन महत्वाकांक्षी योजनाओं को पूरा करने के लिये कार्य करने को भी प्रेरित करता है सूर्य। सूर्य खराब स्थिति में है तो व्यक्ति को आलस्य अधिक रहता है। आज के काम को कल पर टालने की आदत होती है। समाज में सम्मान मान अधिक नहीं होता है। सूर्य जिस प्रकार संसार का पालन करता है, उसी प्रकार पिता भी परिव6का पालन करते हैं सूर्य पिता को दर्शाता है, सूर्य ठीक स्थिति में तो पिता से संबंध ठीक रहते हैं, अन्यथा अलगाव, वाद विवाद, पिता न ही हों, जैसी स्थिति देखी जाती है । सूर्य मेष राशि मे  उच्च और तुला में नीच होते हैं और दोनो ही राशि में 10 अंश पर नीच व उच्च होते हैं, सिंह सूर्य की स्वयं की राशि है, सिंह राशि में सूर्य 20 अंश तक मूल त्रिकोण, और उसके बाद स्वग्रही होते हैं, सूर्य के मित्र ग्रह मंगल बृहस्पति चन्द्र बुध्द हैं , और शत्रु ग्रह शनि शुक्र राहु केतु हैं।
सूर्य यदि शुभ भाव त्रिकोण और केंद्र के स्वामी है, साथ ही मित्र राशि में हो, और शुभ भाव में स्थित हों तो अच्छे परिणाम देते हैं , किसी भी पाप ग्रह के बशर्ते दृस्टि न हों। कोई ग्रह सूर्य के निकट आ जाता है तो वह अस्त हो जाता है, और जिन भावों का स्वामी होता हैं वहाँ का परिणाम नहीं दे पाता है, 8 अंश से कम का अंतर हो तो ग्रह को अस्त माना जाता है।
सूर्य ठीक हो तो करियर में कोई समस्या नहीं आती है।
इश्लिये सूर्य एक अति महत्वपूर्ण ग्रह है।

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