शनि लग्न में स्थित हो | shani in 1st house | शनि कुंडली के पहले भाव में

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शनि कुंडली में लग्न स्थित हो तो व्यक्ति को कुछ हद इंट्रोवर्ट बनाएगा मतलब की अपने मन की बात शेयर नहीं करते आप हर किसी से आसानी से। शनि व्यक्ति को कर्तव्यों को पालन करने वाला बनाता है। शनि मैरिड लाइफ में स्थायित्व तो देगा लेकिन आकर्षण स्नेह की कमी भी कर सकता है। शनि लग्न में स्थित हो तो यह व्यक्ति को कर्मठ मेहनती बनाएगा। शनि लग्न में स्थित हो तो व्यक्ति की गुप्त दान धर्म की प्रवृत्ति हो सकती है और व्यक्ति ज्यादातर कर्मवादी स्वभाव के होंगे।

Relationship between planets and rashi ( ग्रह और राशि में सम्बन्ध )

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ग्रह और राशि में क्या सम्बन्ध है इस विषय पर जानना जरूरी है यदि आप ज्योतिष सीखना चाहते हैं, बिना इनके जाने आप आगे नहीं बड़ सकते यह बेसिक पार्ट है।
सबसे पहले जानते हैं राशि क्या होती है, अगर सूर्य को केंद्र मानकर सौरमण्डल को 12 बराबर भाग में बांटे तो हमको राशि प्राप्त होती हैं और एक राशि 30 अंश की होती है क्योंकि सौरमण्डल एक वृत्त के जैसा है। हर ग्रह हमेशा किसी न किसी राशि में भ्रमण करता रहता है।
सब जानते है कि ग्रह और राशि मे क्या सम्बन्ध है, ज्योतिष शास्त्र में प्रतेयक ग्रह को किसी न किसी राशि की लॉर्डशिप मालिकाना हक दिया गया है, अब जानते हैं कि किस राशि का स्वामी कोन है-
1 मेष - मंगल
2 वृष - शुक्र
3 मिथुन - बुद्ध
4 कर्क - चन्द्रमा
5 सिंह - सूर्य
6 कन्या - बुद्ध
7 तुला - शुक्र
8 वृश्चिक - मंगल
9 धनु - गुरु
10 मकर - शनि
11 कुम्भ - शनि
12 मीन - गुरु

इस प्रकार इन राशियों का कोई न कोई स्वामी है, कुछ ग्रह को दो राशि का स्वामित्व दिया गया है तो कुछ को एक का, राहु और केतु को किसी भी राशि का स्वामी नहीं बनाया गया है।
ग्रह इन्हीं राशियों में भ्रमण करते हुए अपने फल प्रदान करते हैं, ग्रह इन राशियों में उच्च नीच स्वग्रही शत्रु राशि या सम , होते हैं, हर राशि के पास एक तत्व है और अपनि स्पेसिफिक क़्वालिटी है, अगर कोई ग्रह समान तत्व का है और उसके गुण धरमः राशि से मैच होते हैं तो शुभ फल प्रदान करते हैं अन्यथा बुरा। जैसे कोई अग्नि तत्व का ग्रह जल तत्व की राशि में अच्छा महसूस नहीं करेगा और शुभ फल नहीं देगा क्योंकि आग और पानी की शत्रुता है,आग और पानी को मिलाओ तो आग बुझ जायगी और पानी भी भाप बन जायेगा, और शेष कुछ नहीं बचेगा, इश्लिये हमको राशि के कारकत्व पर विचार करना चाहिए
सूर्य मेष राशि में उच्च और तुला में नीच
चन्द्रमा वृष में उच्च और वृश्चिक में नीच
मंगल मकर में उच्च और कर्क में नीच
बुध्द कन्या में उच्च और मीन में नीच
शुक्र मीन में उच्च और कन्या में नीच
शनि तुला में उच्च और मेष में नीच
गुरु कर्क में उच्च और मकर में नीच
राहु मिथुन में उच्च  और धनु में नीच
केतु धनु में उच्च और मिथुन में नीच

इस प्रकार ग्रह अपनी स्थिति के अनुसार फल देता है।
अब यदि मित्र राशि में है तो भी अच्छा फल देता है

ग्रह      मित्र ग्रह
सूर्य      चन्द्र मंगल गुरु बुध्द
मंगल     सूर्य गुरु चन्द्र
बुध्द      सूर्य शुक्र शनि
गुरु       चन्द्रमा सूर्य मंगल शनि
शुक्र      शनि बुध्द चन्द्र
शनि      शुक्र बुध्द गुरु
चन्द्रमा   सूर्य मंगल गुरु शुक्र  ( राहु केतु शत्रु )

अब आप को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि कोन ग्रह शत्रु हैं
 ग्रह     शत्रु ग्रह
सूर्य       शनि शुक्र राहु केतु
मंगल     शनि राहु केतु शुक्र
शनि       सूर्य मंगल चन्द्र
गुरु         शुक्र राहु केतु बुध्द
चन्द्र        किसी को अपना शत्रु नहीं मानता
शुक्र        सूर्य गुरु मंगल

इस प्रकार आप देख सकते हैं कुंडली में ग्रह किस प्रकार की राशि में है बशर्ते आप को राशि स्वामी का नाम पता और राशि के गुण पता हो तो आप समझ सकते हैं कि ग्रह किस स्थिति में है।

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