अक्सर आप ने देखा होगा हिन्दू समाज में जब भी लोग विवाह करने के लिये अग्रसर होते हैं तो सबसे पहले कहते हैं कि बच्चों की कुंडली मिलान कर लिया क्या ? आखिर क्यों कहा जाता है कुंडली मिलान के लिये ? यही सब प्रश्न मेरे मन मे भी आते पर जब मैंने कुछ जगह अध्यन किया आदि तब जाकर एक समझ बनी वो में आप से शेयर कर रहा हूँ।
विवाह से पूर्व कुंडली मिलान, गोत्र मिलान किया जाता है, नाड़ी मिलान की जाती है, ये सब कुछ बहुत ही साइंटिफिक प्रक्रिया है, आप देख लेना चाहो तो कभी भी जिस किसी की भी नाड़ी समान है गोत्र समान है तो 100% उनका ब्लड ग्रुप भी एक ही होगा, और उनके DNA में भी समानता होगी लगभग, और अगर ये लोग विवाह करेंगे तो विवाह के बाद परेशानी आना आरम्भ हो जाएंगी, जैसे सन्तान उत्तपत्ति न होना, भले ही दोनों बोल्जिकली ठीक हों, फिर भी कुछ न कुछ समस्या आना , और अगर जैसे तैसे सन्तान हो भी जाये तो उसके मंद मति का होना, जैसी बातें सामने आती हैं। पर आज कल प्रेम विवाह का प्रचलन बड गया है, और कुछ संस्थाओं ने सर्वे किया कि प्रेम विवाह करने वाले लोगों के ही तलाक सबसे ज्यादा होते हैं, क्योंकि कुंडली मिलान नहीं कि गई, प्रेम सिर्फ हार्मोन होता है डोपामाइन उसी का खेल है, जब तक वो है तब तक प्रेम है, और यही हार्मोन सबसे जल्दी नष्ट होता है, लोग आवेग में आकर माता पिता समाज से अलग जाकर विवाह कर लेते हैं फिर बाद में तकलीफे आना आरम्भ हो जाती हैं , जिंदगी नरक बन जाती है, शादी सिर्फ घिसटने लगती है, कल तक वो व्यक्ति या महिला संसार की सबसे खूबसूरत महिला थी अब उसी का चेहरा नहीं देखा जाता, तो मेरा आप से निवेदन है कि कभी भी आवेग में आकर कोई निर्णय न ले, आवेग में लिए निर्णय के गलत होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है, और खासकर कोई बड़ा निर्णय जो आप के जीवन को दिशा प्रदान करे । जन्म कुंडली इत्यादि का मिलान कर के ही इन सब मामलों में आगे बड़ें...
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