शनि लग्न में स्थित हो | shani in 1st house | शनि कुंडली के पहले भाव में

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शनि कुंडली में लग्न स्थित हो तो व्यक्ति को कुछ हद इंट्रोवर्ट बनाएगा मतलब की अपने मन की बात शेयर नहीं करते आप हर किसी से आसानी से। शनि व्यक्ति को कर्तव्यों को पालन करने वाला बनाता है। शनि मैरिड लाइफ में स्थायित्व तो देगा लेकिन आकर्षण स्नेह की कमी भी कर सकता है। शनि लग्न में स्थित हो तो यह व्यक्ति को कर्मठ मेहनती बनाएगा। शनि लग्न में स्थित हो तो व्यक्ति की गुप्त दान धर्म की प्रवृत्ति हो सकती है और व्यक्ति ज्यादातर कर्मवादी स्वभाव के होंगे।

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कुंडली में अक्सर हम तीसरे भाव , छठवे भाव और आठवे भाव को बुरा मानते है लेकिन यह भाव भी किसी व्यक्ति को अपार धन दे सकते हैं। यदि कुंडली में इन भावों के स्वामी नीच होते हैं तो व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयों को कम करते हैं क्योंकि यह भाव जीवन में स्ट्रगल और प्रयत्नों को दिखाते हैं यदि कुंडली में इन भावों के स्वामी का नीच होना या इन भावों का पीड़ित होना आप के जीवन में कठिनाई को कम करता है जैसे कि तीसरा भाव प्रयत्न को दिखाता है तो कोई व्यक्ति को अपने जीवन में अधिक प्रयत्न करने पड़े तो ये ज्यादा बेहतर होगा कि व्यक्ति को आसानी से चीजे मिल जाये इश्लिये तीसरे भाव का पीड़ित होने ठीक माना जाता है। इसी प्रकार हम 6वे भाव की बात करें तो यह भाव संघर्ष रोग कर्ज शत्रु को दिखाता है यदि यह भाव बली होगा तो व्यक्ति के शत्रु बड़े होंगे कर्ज बड़ा होगा, बीमारी भी कोई बड़ी ही होगी जैसा ग्रह है उसी प्रकार के गुण देखने को मिलेंगे यदि इसके उलट यह भाव में नीच का ग्रह हो या पीड़ित हो तो व्यक्ति को संघर्ष कम करना होगा रोग शत्रु यह सब कमजोर हो जाएंगे।



अगर आठवे भाव का भी यही हाल है क्योंकि यह भाव परेशानी और परिवर्तन दुःख का भाव है यदि इस भाव में ग्रह नीच का हो तथा 8वे भाव का स्वामी नीच का हो तो यह होता है कि व्यक्ति के जीवन में दुःख कम होगा परिवर्तन कम होंगे लेकिन इसके साथ साथ हमको लग्न मजबूत चाहिए।
इन ग्रहों की स्थिति हमको नवमांश कुंडली में भी देखनी चाहिए क्योंकि इससे यह पता चलता है कि ग्रह की वास्तविक स्थिति कैसी होगी नवांश में ग्रह यदि नीच का या फिर मित्र या स्व राशि का है तो ठीक माना जायेगा और विशेष कर वह 3,6 और 8 भाव में ही हो।

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इन सबके विपरीत कुंडली में पहले, पांचवे और नवे भाव का मजबूत होना जरूरी है तथा पाप प्रभाव से मुक्त होना व्यक्ति के लिए शुभ होता है यदि पाप प्रभाव इन भावों पर या इनके स्वामियों पर होगा तो व्यक्ति को कठिनाई देखने को मिलेगी।

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