शनि लग्न में स्थित हो | shani in 1st house | शनि कुंडली के पहले भाव में
मंगल और सूर्य दो ग्रह शारिरिक ऊर्जा के कारक ग्रह कहे जाते हैं यह कुंडली के जिस भी भाव में जाते हैं वहाँ अपनी ऊर्जा का प्रयोग करते हुए देखे जाते हैं अर्थात व्यक्ति कुंडली के उस भाव से जुड़ी चीजो में अपने प्रयत्न और प्रयास लगाता है। मंगल कारक है ऊर्जा का साहस का, प्रयत्न का, भाई का, तकनीकी का, भूमी का और भी कई चीजों का कारक ग्रह मंगल बनता है और वहीं बारहवा भाव कुंडली में व्यय यानी खर्चो को, विदेश यात्रा को, हॉस्पिटल को, कल्पनाओं को, अध्यात्म को, शैय्या सुख को प्रदर्शित करता है।
अब मंगल की ऊर्जा 12 वे भाव आएगी तो व्यक्ति को रचनात्मक बना सकती है व्यक्ति को क्रिएटिव काम करने में आनन्द और उत्साह को को हम देख सकते हैं। 12 भाव यात्राओं को दिखाता है अतः व्यक्ति हमेशा यात्राओं के प्रति उत्साहित नजर आ सकता है। 12 वे भाव का मंगल खर्च को बड़ा सकता है अतः आप को प्रयास करना चाहिए कि खर्च कम हो। परिवार में और वैवाहिक जीवन में मतभेद को यह मंगल बड़ा सकता है यदि पीड़ित हो रहा है। व्यक्ति के अंदर आज के काम को कल पर टालने की स्थिति देखी जा सकती है क्योंकि 12 वे भाव में कालपुरुष के मीन राशि की ऊर्जा है अतः यह आसानी से देखा जा सकता है व्यक्ति आसानी से काम में बोरियत फील करे और आलस्य हो यह भी संभव है। व्यक्ति के स्वभाव की आर्ग्युमेंट करने वाला, झगड़ालू, उग्र स्वभाव, जिद्दी, स्पष्टवादी मंगल बना देता है यदि वह पाप प्रभाव में है। हालांकि मंगल व्यक्ति को न्याय के लिए लड़ने वाले बनाता है और समाज सेवा की भावना व्यक्ति के अंदर हो सकती है। 12 वे भाव का मंगल व्यक्ति को अपनी प्रशंसा सुनने से संतुष्टि देता है। लेकिन यहाँ पर यदि व्यक्ति ज्ञान अध्यात्म की और आगे बढ़ता है तो मंगल की ऊर्जा को संतुलित किया जा सकता है और व्यक्ति के अंदर क्रोध कामुकता कम होगी और फिर आत्म प्रेरण से व्यक्ति आगे बढे इस बात की संभावना रहती है यह सब योग और ध्यान से संभव है।
यह मंगल के 12 वे भाव में परिणाम थे , हालांकि इन परिणामो में परिवर्तन देखने को मिल सकता है क्योंकि मंगल की राशि और अन्य स्थिति बदल सकती है अतः आप इनको एक जनरल रूप में लें।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें