शनि कुंडली में लग्न स्थित हो तो व्यक्ति को कुछ हद इंट्रोवर्ट बनाएगा मतलब की अपने मन की बात शेयर नहीं करते आप हर किसी से आसानी से। शनि व्यक्ति को कर्तव्यों को पालन करने वाला बनाता है। शनि मैरिड लाइफ में स्थायित्व तो देगा लेकिन आकर्षण स्नेह की कमी भी कर सकता है। शनि लग्न में स्थित हो तो यह व्यक्ति को कर्मठ मेहनती बनाएगा। शनि लग्न में स्थित हो तो व्यक्ति की गुप्त दान धर्म की प्रवृत्ति हो सकती है और व्यक्ति ज्यादातर कर्मवादी स्वभाव के होंगे।
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मंगल 5वे घर में | Mars in 5th House | Bhartiya Astrology
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नमस्कार दोस्तो स्वागत है आप का भारतीय एस्ट्रोलॉजी चैनल पर, मेरा नाम है अर्पित शुक्ला। दोस्तो आज हम मंगल के कुंडली में पंचम भाव में स्थित होने पर फलों की चर्चा करेंगे।
सबसे पहले समझते हैं मंगल कुंडली में एक अग्नि तत्व का ग्रह है जो कि हमारे शरीर की ऊर्जा को कंट्रोल करते हैं, हमारा जो स्टेमिना है , बोल्डनेस है, अटलता है, संकल्प शक्ति, विल पावर को नियंत्रित करता है।
मंगल हमारे क्रोध को नियंत्रित करता है ब्रोडर वे में कहे तो यह षड रिपु को नियंत्रित करता है।
मंगल हमारे साहस को दिखाता है यानी जो रिस्क टेकिंग एबिलिटी है वह मंगल से देखी जाती है।
मंगल भाइयों का कारक है, मंगल देवताओ के सेनापति है अतः यह फ़ौज प्रशासन पुलिस रक्षा सेवाओं को दिखाता है इसके अलावा मंगल मेडिकल इंजीनियरिंग भूमि का भी कारक है।
अब बात करें पंचम भाव की तो यह भाव हमारे शिक्षा को दिखाता है , हमारी एजुकेशन कैसी होगी यह 5th हाउस से पता चलती है, पंचम भाव से हम संतान, एंटरटेंमेंट से जुड़े क्षेत्र, लव लाइफ का विचार करते हैं, पांचवा भाव से हम क्रिएटिविटी का विचार करते हैं किसी व्यक्ति के अंदर कितनी रचनात्मक शक्ति होगी यह देखा जाता है , शेयर मार्केट स्पेकुलेशन को भी हम इसी भाव से देखते हैं।
अब बात करें फलो की तो मंगल पंचम भाव में शुभ फल प्रदान करता है अगर जनरल रिजल्ट की बात करें तो।
मंगल यहाँ पर एक संतुलन महसूस करता है ।
कार्य करने के प्रति एक समर्पण एयर डेडिकेशन का भाव व्यक्ति के अंदर होता है, मजबूत इक्षा शक्ति मंगल यहां पे देता है , व्यक्तित्व में दृढ़ता देता है यदि मंगल पर नकारात्मक प्रभाव नहीं है तो।
पंचम भाव दिखाता है मनोरंजन क्षेत्र और क्रिएटिविटी को अतः व्यक्ति के अंदर एक अनूठी रचनात्मकता होती है अब यह किसी भी क्षेत्र के अंदर हो सकती है जैसे डांस , संगीत, फ़िल्म, ड्रामा, पेंटिंग, लेखन, राइटिंग , स्पीच इत्यादि जगह पर व्यक्ति अपनी ऊर्जा को लगाता है।
पांचवे भाव में मंगल व्यक्ति को रोमांस के प्रति आकर्षित करता है , मंगल ऊर्जा है और जब यह 5th हाउस में होगा तो व्यक्ति अपनी ऊर्जा को लव रोमांस में लगाएगा और यदि मंगल अच्छी राशि में हुआ तो यह व्यक्ति को कमिटेड और लॉयल पार्टनर बनायेगा ओर इस मंगल पर पाप प्रभाव हुआ तो व्यक्ति के मल्टीपल अफ़ेयर हो सकते हैं कई बार स्थिति यहाँ तक हो जाती है कि मिसकैरेज की नोबत भी आ जाती है। यदि गुरु की दृष्टि हो तो यह नकारात्मक प्रभाव नहीं होते हैं।
मंगल पंचम भाव में शिक्षा के प्रति कंसन्ट्रेशन को कमजोर करता है , और व्यक्ति अपनी शिक्षा से भटक जाता है उसका झुकाव किसी और अन्य जगह हो सकता है जैसे क्रिएटिव फील्ड, लव रोमांस, पर यदि शुभ स्थिति में हुआ तो और यह व्यक्ति को इंजिनीरिंग मेडिकल अथवा भूमि जुड़े किसी विभाग में भी लेकर जाता है।
बुध और गुरु का प्रभाव मंगल को नियंत्रित करता है और सही डायरेक्शन देता है , मंगल कुंडली में योगकारक हो तब भी यह शुभ फल देता है पांचवे भाव में।
दोस्तो मंगल अनुशासन को दिखाता है अतः यह अपनी संतान के प्रति काफी अनुशासनात्मक होते हैं काफी डिसिप्लिन प्रिय हो जाते हैं बच्चों को लेकर और सम्भवतः प्रथम संतान पुत्र होती है।
मंगल अपनी चतुर्थ दृष्टि से 8th हाउस को देखता है जो कि विवाह के उपरांत की संपत्ति, ससुराल के लोगो से अच्छे संबंध होते हैं, इसके अलावा हिडेन चीजो को जैसे एस्ट्रोलॉजी रिसर्च इत्यादि तो इन सब के लिए मंगल का प्रभाव शुभ होता है। मंगल की दृष्टि व्यक्ति को सर्जन भी बना सकती है अथवा किसी प्रकार के चोट चपेट दुर्घटना के योग भी बना सकती है अतः आप को सावधान रहना चाहिए जब मंगल की दशा हो और मंगल का गोचर 5 वे भाव से हो।
मंगल सातवीं दृष्टि से 11 वे भाव को भी देखता है जो कि लाभ का भाव है अतः आप को शेयर मार्केट, स्पेक्युलेशन इत्यादि से लाभ होगा। राइटिंग, आर्ट्स, म्यूजिक, मनोरजंन क्षेत्र से लाभ होने का योग बनता है।
मंगल की आठवीं दृष्टि 12वे भाव पर जाती है जो कि कल्पनाशीलता का भाव है ऐसे लोग एक अच्छे स्क्रीन राइटर बना सकता है, आध्यात्मिक क्षेत्र में भी ले जा सकता है अगर अन्य योग बनते हैं तो । मंगल विदेश यात्रा और सेटलमेंट को लेकर भी जिम्मेदार ग्रह बनेगा।
तो दोस्तो यह कुछ जानकारी थी जो मंगल के 5 वे भाव में होने पर होती हैं।
बृहस्पति के आठवे भाव में फल बृहस्पति कुंडली के 8वे भाव में स्थित हो तो यह किसी प्रकार का लंबी अवधि का रोग दे सकता है। अध्यात्म ज्योतिष जैसी विद्दाओ में रुचि देगा। बुद्धि को स्थिर करेगा यानी कि विचार आसानी से परिवर्तित नहीं होंगे एक बार जो राय बन गई वो अटल होगी। विवाह के बाद 1 या 2 साल के अंदर किसी प्रकार की आर्थिक हानि हो सकती है अथवा भावनात्मक हानि किसी की मृत्यु के द्वारा हो सकती है। आप दीर्घायु होंगे। कार्य क्षेत्र में उतार चड़ाव देगा। बृहस्पति की दृष्टि व्यय भाव पर होगी जो कि बड़ी मात्रा में धन खर्च करवाती है। गुरु की धन भाव पर दृष्टि दिखाती है कि फ्लो ऑफ मनी बना रहेगा। सुख भाव पर दृष्टि अपने घर और वाहन का सुख जरूर देगी आप को। यह बृहस्पति संतान की उन्नति के लिए बेहतर स्थिति है पर प्रथम संतान के जन्म के समय कुछ कष्ट देखने को मिल सकता है। उधार आप को सोच समझ कर देना चाहिए अन्यथा पैसा फसने का योग बनता है। गुरु आठवे भाव में फल को वीडियो रूप में देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
शनि के कुंडली के तृतीय भाव में फल शनि कुंडली के तृतीय भाव में स्थित है यह आप को मेहनती पराक्रमी कर्मठ बनाएगा, आप को प्रोफेशन में जो भी आप हेड होगा वेग सदैव ही आप से प्रशन्न रहेगा आप की मेहनत की वजह से। विद्दा अध्ययन में किसी प्रकार विलंब या रुकावट दे सकता है, आप मेहनत के द्वारा चीजो को सीखते हैं अभ्यास प्रेक्टिस से आप को ज्ञान देगा, व्यवहारिक ज्ञान आप को अच्छा होगा। भाई-बहनों की वजह से यह शनि आप को दुख दे सकता है आप के धैर्य को चेक करेगा अथवा भाई-बहनों को तकलीफ दे सकता है। उन्नति विलंब से देगा , जीवन के उत्तरार्ध में उन्नति देगा। अपने वाहन का सुख देगा, स्वभाव में संतोषीपन होगा। संतान प्राप्ति विलंब से हो सकती है। कार्यक्षेत्र में आप को नैतिकता वादी बनाता है, धर्म संस्कृति में जो रीति रिवाज है उनके पीछे का लॉजिक ढूढने का प्रयास आप का रहता होगा, साथ ही जरूरमंद व्यक्ति की सहयता, परोपकार, इत्यादि में आप का मन अधिक लगता होगा। भाग्य में उन्नति विलंब से होगी सही जगह पर धन का व्यय कराएगा, टुकड़ो में धन खर्च अधिक होगा। धर्म शास्त्रों का ज्ञान देगा। आप अच्छे सलाहकार होंगे और कानून ,टे...
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