शनि लग्न में स्थित हो | shani in 1st house | शनि कुंडली के पहले भाव में

चित्र
शनि कुंडली में लग्न स्थित हो तो व्यक्ति को कुछ हद इंट्रोवर्ट बनाएगा मतलब की अपने मन की बात शेयर नहीं करते आप हर किसी से आसानी से। शनि व्यक्ति को कर्तव्यों को पालन करने वाला बनाता है। शनि मैरिड लाइफ में स्थायित्व तो देगा लेकिन आकर्षण स्नेह की कमी भी कर सकता है। शनि लग्न में स्थित हो तो यह व्यक्ति को कर्मठ मेहनती बनाएगा। शनि लग्न में स्थित हो तो व्यक्ति की गुप्त दान धर्म की प्रवृत्ति हो सकती है और व्यक्ति ज्यादातर कर्मवादी स्वभाव के होंगे।

राहु और उससे बनने वाले योग

  1. *राहू ग्रह व उस से बनने वाले कुछ विशेष योग-*

  2. *राहु एक विच्छेदात्मक ग्रह है, जब इसका प्रभाव सप्तम भाव से संबंधित बातों पर पड़ता है यथा, सप्तमभाव के स्वामी व शुक्र पर पड़ता है तो यह प्रभाव जातक के विवाह में विलम्ब, जात्येतर सम्बन्ध, अलगाव, व तलाक की और संकेत करता है। यदि राहू के साथ शनि और सूर्य का प्रभाव भी सप्तम भाव से संबंधित घटकों पर हो तो अशुभ फलों में और तीव्रता आ जाती है। यदि किसी कुंडली में राहू, शनि की युति हो तो शनि का प्रभाव दुगना हो जाता है।*

  3. *1- यदि मेष, वृषभ, या कर्क राशि का राहू तीसरे, षष्ठ अथवा एकादश भाव में हो तो, यह राहू अनेक अशुभ फलों का नाश कर देता है।*

  4. *2- यदि राहू केंद्र, त्रिकोण 1, 4, 7, 10, 5, 9 वें भाव में हो और केन्द्रेश या त्रिकोणेश से सम्बन्ध रखता हो तो यह राज योग प्रदान कर देता है।*

  5. *3-यदि 10 वें भाव में राहू हो तो, यह राहू नेतृत्व शक्ति प्रदान करता है।*

  6. *4- यदि सूर्य, चन्द्र के साथ राहू हो तो, यह राहू इनकी शक्ति को कम करता है।*

  7. *5- राहू की दृष्टि सप्तम भाव, सप्तमेश, मंगल, व शुक्र पर हो तो, ऐसी जातिका अंतर्जातीय विवाह करती है।*

  8. *6- जिस जातिका के पंचम भाव में राहू होता है, उस जातिका का मासिक धर्म अनियमित होता है, जिस कारण से जातिका को संतान होने में परेशानी हो सकती है।*

  9. *7- यदि पंचम भाव में कर्क, वृश्चिक अथवा मीन राशि हो और उसमें राहू, शुक्र की युति हो तो, वह जातिका प्रेम जाल में फंस जाती है।*

  10. *8- यदि पंचम भाव में राहू, शुक्र की युति हो तो, वह जातिका यौन रोग, अथवा प्रसव सम्बंधित रोगों से ग्रसित होती है।*

  11. *9- यदि अष्टम भाव में मेष, कर्क, वृश्चिक, या मीन राशि हो और उसमें राहू स्थित हो तो, जातिका की शल्य क्रिया अवश्य होती है।*

  12. *10- सप्तम भाव में राहू, शनि, तथा मंगल की युति हो तो, दाम्पत्य जीवन कष्टमय होता है।*

  13. *11-यदि 8 वें भाव में शनि, राहू, व मंगल हो तो, उस जातिका/ जातक के 80% तलाक की संभावना होती है। अथवा जीवन भर वैचारिक मतभेद रहते हैं।*

  14. *12- यदि मेष, या वृश्चिक राशि में 8 वें भाव में या दूसरे भाव में राहू पाप ग्रह से युत अथवा दृष्ट हो तो, जातिका का दाम्पत्य जीवन कष्टमय होता है।*

  15. *13- यदि पंचम भाव में राहू मेष या वृश्चिक राशि का हो अथवा मंगल की दृष्टि हो तो, उस जातिका की संतान की हानि होती है।*

  16. *14- यदि राहू, गुरु की युति हो तो, जातिका का एक बार गर्भपात होता है।*

  17. *15- सप्तम भाव में स्थित राहू दाम्पत्य जीवन को कष्टमय कर देता है।*

  18. *16- यदि दूसरे भाव में धनु राशि का राहू हो तो, जातिका धनवान हो जाती है।*

  19. *17- एकादश भाव में राहू, शुक्र की युति हो तो जातिका का दाम्पत्य जीवन बहुत दुःखी होता है।*

  20. *18- यदि शुक्र अथवा गुरु पर राहू की दृष्टि हो तो, जातिका अंतर्जातीय एवं प्रेम विवाह करती है।*

  21. *19- यदि दूसरे या पंचम भाव में राहू हो तो, उस जातिका का विवाह बहुत कठिनाई से होता है।*


  1. *20-यदि 8 वें भाव या 11 वें भाव में राहू हो तो, उस जातिका का विवाह तो हो जाता है, किन्तु दाम्पत्य जीवन कष्टप्रद होता है। अथवा अलगाव/तलाक की आशंका अधिक होती है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

गुरु जन्म कुंडली के 8वे भाव में फल | गुरु अष्ठम भाव में फल | Guru in 8th house in horoscope

शनि कुंडली के तृतीय भाव में | Saturn in 3rd House in Horoscope