शनि कुंडली में लग्न स्थित हो तो व्यक्ति को कुछ हद इंट्रोवर्ट बनाएगा मतलब की अपने मन की बात शेयर नहीं करते आप हर किसी से आसानी से। शनि व्यक्ति को कर्तव्यों को पालन करने वाला बनाता है। शनि मैरिड लाइफ में स्थायित्व तो देगा लेकिन आकर्षण स्नेह की कमी भी कर सकता है। शनि लग्न में स्थित हो तो यह व्यक्ति को कर्मठ मेहनती बनाएगा। शनि लग्न में स्थित हो तो व्यक्ति की गुप्त दान धर्म की प्रवृत्ति हो सकती है और व्यक्ति ज्यादातर कर्मवादी स्वभाव के होंगे।
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Moon in 3rd House | Tisre Bhav me Chandra | तृतीय भाव में चन्द्र
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जन्म कुंडली में तीसरे भाव में चन्द्रमा के परिणाम
सबसे पहले जानते हैं तीसरे भाव को यह भाव संचार माध्यमों को दिखाता है यानी हम किस तरह से अपनी बात लोगों से शेयर करते हैं हमारे द्वारा किये हुए प्रयत्नों को हम तीसरे भाव से देखते हैं। तीसरा भाव हमारे भाई बहनों को दिखाता है। तीसरा भाव अन्य भी कई महत्वपूर्ण चीजो को हमारे जीवन में नियंत्रित करता है। अब बात करें चंद्र की तो चंद्रमा हमारे मन मस्तिष्क का कारक ग्रह है। ज्योतिष में सबसे महत्वपूर्ण ग्रह चन्द्र है क्योंकि यह हमारे विचारधारा, सोच बचपन में जो आचरण हमको सीखने को मिले उन सभी को चन्द्र प्रदर्शित करता है। अब बात करें परिणामों की तो चन्द्रमा हमारा मन है और यह तीसरे भाव में है जो कि कम्युनिकेशन को दिखता अतः व्यक्ति को वार्तालाप करना पसंद होता है इसी से उसको मानसिक शांति प्राप्त होती है। इसके अलावा तीसरा भाव भाई बहनों को दिखाता है तो व्यक्ति की सोच विचारधारा उसके भाई बहनों का प्रभाव देखने को मिलता है । यहाँ पर स्थित चंद्र व्यक्ति को तीव्र बुद्धि प्रदान करता है क्योंकि तीसरे भाव में बुध के भी गुण मिलते हैं क्योंकि कालपुरुष के तीसरे भाव का स्वामी बुध है हालांकि तेज बुद्धि तो होती है पर व्यक्ति क्व अंदर चंचलता अधिक होती है इस वजह से किसी एक जगह पर फोकस नहीं कर पाते खासकर यदि चन्द्रमा वायु तत्व की राशि में हो। चन्द्रमा तीसरे भाव में लेखन की शक्ति देता है व्यक्ति अच्छा साहित्यकार, संगीतकार, गायक, पत्रकार, वाणिज्य की भी समझ देता है यदि बुध ठीक हो। व्यक्ति को काफी हद तक चन्द्रमा अपनी दशा काल में यात्रा करवाता है क्योंकि चन्द्रमा चलायमान ग्रह है यह बहुत जल्दी राशिपरिवर्तन कर लेता है। चन्द्रमा सातवी दृष्टि से नवम भाव को भी देखेगा आठ व्यक्ति के अंदर दार्शनिक सोच होगी कहीं न कहीं व्यक्ति अपने धर्म से लगाव करने वाला या उसको जाननेकी चेष्ठा करने वाला हो सकता है। यह कुछ परिणाम थे जो चन्द्रमा के तृतीय भाव में होने और हो सकते हैं।
बृहस्पति के आठवे भाव में फल बृहस्पति कुंडली के 8वे भाव में स्थित हो तो यह किसी प्रकार का लंबी अवधि का रोग दे सकता है। अध्यात्म ज्योतिष जैसी विद्दाओ में रुचि देगा। बुद्धि को स्थिर करेगा यानी कि विचार आसानी से परिवर्तित नहीं होंगे एक बार जो राय बन गई वो अटल होगी। विवाह के बाद 1 या 2 साल के अंदर किसी प्रकार की आर्थिक हानि हो सकती है अथवा भावनात्मक हानि किसी की मृत्यु के द्वारा हो सकती है। आप दीर्घायु होंगे। कार्य क्षेत्र में उतार चड़ाव देगा। बृहस्पति की दृष्टि व्यय भाव पर होगी जो कि बड़ी मात्रा में धन खर्च करवाती है। गुरु की धन भाव पर दृष्टि दिखाती है कि फ्लो ऑफ मनी बना रहेगा। सुख भाव पर दृष्टि अपने घर और वाहन का सुख जरूर देगी आप को। यह बृहस्पति संतान की उन्नति के लिए बेहतर स्थिति है पर प्रथम संतान के जन्म के समय कुछ कष्ट देखने को मिल सकता है। उधार आप को सोच समझ कर देना चाहिए अन्यथा पैसा फसने का योग बनता है। गुरु आठवे भाव में फल को वीडियो रूप में देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
शनि के कुंडली के तृतीय भाव में फल शनि कुंडली के तृतीय भाव में स्थित है यह आप को मेहनती पराक्रमी कर्मठ बनाएगा, आप को प्रोफेशन में जो भी आप हेड होगा वेग सदैव ही आप से प्रशन्न रहेगा आप की मेहनत की वजह से। विद्दा अध्ययन में किसी प्रकार विलंब या रुकावट दे सकता है, आप मेहनत के द्वारा चीजो को सीखते हैं अभ्यास प्रेक्टिस से आप को ज्ञान देगा, व्यवहारिक ज्ञान आप को अच्छा होगा। भाई-बहनों की वजह से यह शनि आप को दुख दे सकता है आप के धैर्य को चेक करेगा अथवा भाई-बहनों को तकलीफ दे सकता है। उन्नति विलंब से देगा , जीवन के उत्तरार्ध में उन्नति देगा। अपने वाहन का सुख देगा, स्वभाव में संतोषीपन होगा। संतान प्राप्ति विलंब से हो सकती है। कार्यक्षेत्र में आप को नैतिकता वादी बनाता है, धर्म संस्कृति में जो रीति रिवाज है उनके पीछे का लॉजिक ढूढने का प्रयास आप का रहता होगा, साथ ही जरूरमंद व्यक्ति की सहयता, परोपकार, इत्यादि में आप का मन अधिक लगता होगा। भाग्य में उन्नति विलंब से होगी सही जगह पर धन का व्यय कराएगा, टुकड़ो में धन खर्च अधिक होगा। धर्म शास्त्रों का ज्ञान देगा। आप अच्छे सलाहकार होंगे और कानून ,टे...
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